ऐसे पुर फतन दौर में , मुस्लिम समुदाय को भी एक मजबूत मीडिया हाउस की स्थापना करना चाहिए।



 मुस्लिम समुदाय को भी एक मजबूत मीडिया हाउस की स्थापना करना चाहिए।



 वकार अहमद
मुनाफ़िक़ बुराई को फैलाने और नेकी से रोकने में एक दुसरे की मदद करते है। यही काम आज हमारे हिंदुस्तान में चंद मिडिया वाले कर रहे हैं।उनके दिफा में मुसलमानो की ज़िम्मेदारी होती है की उनका पीछा किया जाये और उनकी ग़लत बातों  को तत्थ्यों से और गुमराही को अल्लाह पाक की हिदायत से रद्द करें। नेकी को आम करें जिसको वह मिटाने में लगे हैं। और बुराई से रोकें जिसको वह फैलाने में लगे हैं.यह काम अपने किसी ख़ास प्लेटफार्म से ही किये जा सकते हैं और इसके लिए मिडिया हाउस ही सब से बेहतर है। जहाँ से Electronic और Print  मिडिया दोंनो तरीके से काम अमल में आये। लेकिन मुस्लमान इन कामों में काफी कमज़ोर हैं। अफ़सोस यह की इनके पास कोई मज़बूत मिडिया हाउस भी  नहीं। या  हैं भी तो वह मौजूदः हालात का सख्ती से मुक़ाबला नहीं कर सकते और उनका जवाब ठोस तरीके से नहीं दे सकते।

 मज़ीद यह की उन्हें देखने और सुनने वालों की तादाद इतनी कम  है की उनकी गिनती बड़े media  houses  में नहीं होती। और ना ही उनकी बेहतर आमदनी होती है की  वह अपने channel  और workers की मज़ीद भर्ती करें। इसलिए मुस्लिम समुदाय को चाहिए की इन channels को अपनी तादाद देकर उन्हें आगे बढ़ाएं वह नहीं तो कोन बढ़ाएगा ? मगर क्या करें ? मुस्लिम समुदाय भी उन्ही news channels पर भरोसा करते हैं  जिन्हों ने दगा बाज़ी को अपना मंसुबा बना रखा है। उन्ही को देखने में अपने क़ीमती समय को बर्बाद  कर रहे हैं। बल्कि उनकी मदद भी कर रहे हैं। हालां की वह media इसके बदले उन्हें कुछ देता भी नहीं। सिवाए झूट, मक्कारी और दिमागी परेशानियों के.


आज एक समुदाय ( मुस्लिम ) निशाना बनाया जा रहा है ; यह हर एक पर खुला हुआ है की  ऐसे फ़ितनो और अराजकता के माहोल में मुस्लिम समुदाय को चाहिए की वह अपना एक मज़बूत मीडिया हाउस बनायें। जिसका एक खास मक़सद हो। और वह इसके ज़रिये गाइड लाइन के हिसाब से काम करें। या  अभी जितने मुस्लिम media और सच्च बोलने वाली media house हैं हर मुमकिन एतेबार से उनकी मदद करें और ज़्यादह से ज़्यादह अपनी तादाद दें। ताकि वह हक़ और सच्च दिखा सकें।

जितने भी नए media house बनेें वह सब के सब electronic  media के साथ print media पर भी ध्यान दें। और क्या ही खूब होगा जब वह print media उर्दू के साथ साथ हिंदी और English में भी publish हों
मज़ीद यह की उनका निचोड़ हफ्ता वारी तौर पर दुनिया की मशहूर ज़बान में भी publish किया जायें। नीज़ blog id बना कर भी पब्लिश क्या जाये। कियुँकि आजकल ब्लॉग पढ़ने और electronic चीज़ों का use काफी ज़्यादह है। इसके इलावा हर secular इंसान को twitter youtube  facebook और Instagram के ज़रिये भी वीडियोस और  फोटोज को tag करके publish करना चाहिए। सच्च और हक़्क़ की आवाज़ बलन्द करना चाहिए। मज़ीद whatsapp के माध्यम से लम्बी पोस्ट  शेयर करके लोगों केसामने लाइ जाएँ ।

अलबत्ता इन तमाम में यह ख़ास खायाल रहे की इन्साफ हो। किसी पर कीचड़ न उछाले।जो भी पोस्ट हो हक़्क़ हो। और जिस ज़बान में भी हो आसान हो। खास तौर पर इंग्लिश और अरबी जानने वाले लोग अपने articles उर्दू और हिंदी के साथ सभी ज़बानों में लिखें। ताकि हक़्क़ की आवाज़ जहाँ तक मुमकिन हो पहुंच सके। Arabic  और english पूरी दुनिया में बोली और समझी जाती है। अपनी बातों को प्रभावित करने के लिए सब से पहली और ज़रूरी बात यह है की मुसलमानो को इस्लाम वाला व्यवहार अपनाना पड़ेगा। कियुँकि मुसलमानो के मौजूदः  रवैये से इस्लाम को बहुत नुक़सान हो रहा है। लेकिन इसमें कोई शक नहीं की इस्लाम मुसलानो के लिए बुनियाद है। ना की मुसलमानो के आमाल इस्लाम के लिए.


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