COVID19 : वैश्विक महामारी


COVID19 : वैश्विक महामारी

COVID19 : वैश्विक महामारी 
सब कुछ भूल चुके थे हम , हमे भूख नामो नमूद की लगने लगी थी मगर आज जान अपनी खो रहे है कुछ न होने की वजह से हम बहुत व्यस्त हो गये थे अपनी ज़िन्दगियों में मगर आज छुट्टी पर है नाज़ था जिसे अपनी ताकत पर तूने लाशो के ढेर लगा दिये वहां जिसे ताबूत मिल जाये वो खुशकिस्मत है स्पेन में हम इतने ऑर्डर नही बना सकते बनाने वाले कहने लगे क्योंकि लाखों लोग अपनी जान गवां चुके और ये आंकडा बढ़ता जाता है ऐ रब हम सब कुछ भी नहीं है होता तो तुझ से ही है हम मनमानी की तेज रफ्तार से तुझे नाराज़ कर बैठे तूने अपने दरवाजें भी बन्द कर लिये वैश्विक सन्नाटा पसरा है इस धरा पर वैश्विक बजारों में डूब रहे है शेयर गिरावट की तरफ बढ़ रही पूँजी समस्त विश्व की आस्था ,धर्म को कमज़ोर समझते थे हम , रवैया ठीक नही अपनाते थे , इस पर डिबेट सजाते थे आदिकवि महर्षि वाल्मीकि रामायण के उत्तरकांड में लिखते हैं, 
धर्मो हि परमो लोके धर्मे सत्यं प्रतिष्ठितम्।
अर्थात संसार में धर्म ही सबसे श्रेष्ठ है। धर्म में ही सत्य की प्रतिष्ठा है।
जहां ये दृष्टिकोण ढीला है और संसाधन की भरमार है वहां  हालत गंभीर है। 
           शाहनवाज़ अब्बासी

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