पूरी दुनिया के लिए रोले मॉडल आप सलल्ललाहु अलैहि की ज़ात है | हिन्दी दस्तक


पूरी दुनिया के लिए रोले मॉडल  आप सलल्ललाहु अलैहि की ज़ात है | हिन्दी दस्तक


 तौक़ीर अहमद क़ासिमी कांधलवी

रहमतुल्ल लिल आलमीन ﷺ के ख़िलाफ़ हालिया फ़्रांसीसी गुस्ताख़ाना मुहिम पर पूरी दुनिया के मुस्लमानों के फ़ित्री रद्द-ए-अमल सेया मज़बूत पैग़ाम गया है कि मुस्लमान नबी अकरमﷺ की तौहीन हरगिज़ बर्दाश्त नहीं कर सकते हैं। फ़्रांसीसी मुहिम के हामीयन को ये बात फिर से अच्छी तरह समझ में आ गई होगी कि जिस तरह आज़ाद ई अमल मुतलक़ नहीं है, बिलकुल इसी तरह से आज़ाद ई इज़हार को भी मुतलक़ नहीं माना जा सकता है। मुस्लमानों का मानना है कि किसी भी मज़हब की मुअज़्ज़िज़ शख़्सियात का बुराई से तज़किरा नहीं किया चाहीए।अलिफ

लेकिन दीगर क़ौमों के अफ़राद बारहा तरह की मुसबत फ़िक्र के ख़िलाफ़ जाते हैं। ये हक़ीक़त है कि नबी अकरम मुहम्मदﷺकी शख़्सियत को बिलकुल इब्तिदा-ए-ही से निशाना बनाया गया है।इस का मक़सद महिज़ आम लोगों को मज़हब इस्लाम से दूर रखने के इलावा कुछ नहीं रहा है। फ़्रांसीसी मुहिम मुतलक़ आज़ादी की बात कहने वालों के ज़रीया छेड़ी गई इस मुहिम की बस एक कड़ी है

۳۰؍सितंबर २००५ ईः को डेनमार्क से शाय होने वाले जलंदस पोस्टनJyllands Posten नामी एक अख़बार ने मुहम्मदﷺ के12 कार्टून शाय किए जिन मेंसे एक में आपﷺ को इस हालत में पेश किया गया था कि उनके सर पर एक बम नुमा पगड़ी थी । इन कार्टूनों की मुतलक़ उल-अनान आज़ाद ई इज़हार के वकीलों ने की फिर से इशाअत की है।

रांची यूनीवर्सिटी में पी।जी के तलबा के पिरच-ए-इलम तारीख़ के सवालात में30؍अप्रैल2008को मुहम्मदﷺ की ज़िंदगी से मुताल्लिक़ एक सवाल में बहुत हतक आमेज़ ज़बान इस्तिमाल की गई थी ।सवाल में मज़कूर था कि नबीﷺ) ने अपनी ज़िंदगी की इब्तिदा-ए-एक ताजिर की हैसियत से की और एक ग़ारतगर की हैसियत से ख़त्म की

पर विडियो सर्व इन गोघVan Goghने एक फ़िल्म बनाई जिसमें करानी आयतें एक नंगी औरत के जिस्म पर लिखी हुई थीं । रोबर्ट अस्पेंसर Robert Spenser)ने Mohammad , Founder of the world's most intolerant religion "इस्लाम दुनिया का सबसे पर तशद्दुद मज़हब )के नाम से एक किताब लिखी है । इस मेंMeet the real Mohammad(हक़ीक़ी मुहम्मद से मुलाक़ात कीजिए )के अनवान से एक बाब है जिसमें वो लिखता है कि नुज़ूल से क़बल मुहम्मद ﷺ) जिन हालतों का भी तज़किरा करते थे वो महिज़ एक ड्रामा था । फिर उसने नबीﷺ को रोय ज़मीन पर आने वाला सबसे बड़ा मुतशद्दिद साबित करने की कोशिश की है

मुस्लमानों जैसे नाम वाले सलमान रुशदी The Satanic Verses (शैतानी आयात)में लिखता है कि इबतिदाई दौर में मुस्लमानों के ज़रीया तालीफ़ आप ﷺकी सवानिह हयात में (लिखा है कि मुहम्मदﷺ ने इन आयात को क़ुरआन के जुज़-ए-के तौर पर शैतान की तरफ़ से पेश किया। और बाद में वो उनसे ये कहते हुए फिर गए कि वो (शैतान )फ़रिश्ते जिबरईल थे ।

आख़िर जब मुस्लमान किसी मज़हबी शख़्सियत की तौहीन नहीं करते हैं, तो फिर दूसरे अफ़राद इस तरह की हरकतें क्यों करते रहते हैं।इस के पस-ए-पर्दा दर्ज जे़ल वजूहात हो सकती हैं

1. मुहम्मदﷺ पर हमला करने वाले अफ़र दुगीर्ों के इतनी बड़ी तादाद में हल्क़ा-ब-गोश इस्लाम होने और तेज़ी के साथ उस की इशाअत से ख़ौफ़ और हसद में मुबतला हैं । बिना बरीं लोगों को क़बूल इस्लाम से रोकने के लिए उन्हें नबीﷺ की एक हक़ारत आमेज़ तस्वीर दिखाना चाहते हैं । क्यों कि उन्हें अच्छी तरह मालूम है कि इस्लाम की नबी करेमﷺ की दरख़शां हयात तुय्यबा और पाकीज़ा तालीमात पर क़ायम है । लिहाज़ा बज़ोम-ए-ख़ुद अगर वो अपने मजमूई हमलों के ज़रीया इस्लाम की इस इमारत को कमज़ोर कर देते हैं तो वो इस्लाम की बुनियाद ही को तबाह कर सकते हैं

2. वो मुस्लमानों को दुनिया के सामने एक मुतशद्दिद और ज़ालिम क़ौम के तौर पर पेश करना चाहते हैं ।क्यों कि वो नबी करीमﷺ के तईं मुस्लमानों के जज़बात से बाख़बर हैं और वो ये अच्छी तरह समझते हैं कि एक मुस्लमान अपने नबीﷺ की इहानत हरगिज़ बर्दाश्त नहीं कर सकता । इसी वजह से जब जब वो नबीﷺ को निशाना बनाते हैं तो मुस्लमान जज़बात की रो में बह कर रद्द-ए-अमल के तौर पर कुछ ऐसे नामुनासिब काम कर जाते हैं जो मुख़ालिफ़ीन इस्लाम के लिए इस्लाम और मुस्लमानों की ग़लत शबिया पेश करने के मज़ीद बहाने पैदाकर देते हैं । इस बार मुस्लमानों ने ज़बरदस्त हिक्मत-ए-अमली का मुज़ाहरा किया है। सोशल मीडीया मुस्लमान आपﷺ की तालीमात को मुसबत अंदाज़ में पेश कर रहे हैं, जो कि लोगों को इस्लाम से दूर करने के बजाय और क़रीब ही करेगी

3. आदा-ए-इस्लाम नबीﷺ पर नामुनासिब तबसरे करके सस्ती शौहरत हासिल करने के मुतमन्नी हैं । क्यों कि दूर जदीद में ये लोगों के दरमयान मशहूर होने का सबसे मुख़्तसर और सहल रास्ता है

4. मुनकरीन इस्लाम इस्लाम की आमद के बाद ही से लोगोंको इस्लाम की तालीमात से दूर रखने की कोशिश करते रहे हैं । इन्होंने मुस्लमानों के ईमान को मुख़्तलिफ़ तरीक़ों से आज़माया लेकिन उन्हें कभी कामयाबी नहीं मिली ।जब वो इस किस्म की कोई नई ख़बासत करते हैं तो वो मुस्लमानों के ऊपर उस के असर को देखना चाहते हैं ।नतेज मुस्लमानों की जानिब से जितना ज़्यादा सख़्त जज़बाती रद्द-ए-अमल होता है वो इस से इतना ही ख़ुश होते हैं

5. मुख़्तसर ये कि मुहम्मदﷺ अपने ऊंचे मर्तबा की क़ीमत अदा कर रहे हैं । अगर आपﷺको निशाना बनाए जाने के पीछे यही अस्बाब -ओ-अवामिल कारफ़रमा हैं तो हमें उनके बारे मेंकुछ कहने की ज़रूरत नहीं है ।क्योंकि इन तमाम वजूहात का सबब हसद और तास्सुब है।लेकिन इस के इलावा एक दूसरी वजह भी हो सकती है। वो ये है कि ये लोग नबी अकरमﷺकी अज़मत-ओ-रिफ़अत से नाआशना हैं

अगर मुआमला असाही है तो हमारा फ़र्ज़ बनता है कि उनके सामने आपﷺ की इन पैग़ंबराना सिफ़ात को पेश करें जिनकी वजह से वो अशर्फ़ अलानबया-ए-हैं । लिहाज़ा जे़ल में मुहम्मदﷺ के बारे में कुछ ग़ैर मुस्लिम दानिश्वर उन की चशम कुशा आरा पेश की जा रही हैं जो आप की सिफ़त ख़ास्सा 'ख़लक़ अज़ीम'को उजागर करती हैं

मुहम्मदﷺके बारे में ग़ैर मुस्लिम दानिशवरों की आरा

1) फ़लसफ़ा के एक हिन्दुस्तानी प्रोफ़ैसर के ऐस राम कृष्णा राउ अपने किताबचाMohammad The Prophet of Islam (मुहम्मद,इस्लाम के पैग़ंबर)में उन्हें (मुहम्मदﷺ )इन्सानी ज़िंदगी के लिए एक मुकम्मल नमूना के तौर पर याद करते हैं । प्रोफ़ैसर अपनी बात की वज़ाहत करते हुए रक़म तराज़ हैं 'मुहम्मदﷺ की शख़्सियत के बारे में मुकम्मल हक़ीक़त से आगही मुश्किल है । मैं सिर्फ उस की एक झलक देख सकता हूँ । दिलकश मुनाज़िर का क्या ही अजीब-ओ-ग़रीब संगम!ये मुहम्मदﷺ नबी , मुहम्मदﷺ जंगजू ,मुहम्मदﷺ ताजिर , मुहम्मदﷺ सयासी लीडर , मुमिदﷺ मुक़र्रर,मुहम्मदﷺ मुसल्लेह, मुहम्मदﷺ ग़ुलामों के मुहाफ़िज़, मुहम्मदﷺ अविर तो नके हुक़ूक़ के निगहबान ,मुहम्मदﷺ मुंसिफ़, मुहम्मदﷺ सूफ़ी । इन्सानी आमाल के तमाम शोबों के इन तमाम शानदार किरदारों में वो एक हीरो के मानिंद हैं ।

2) माईकल हार्टMichael Hart अपनी किताबThe 100,A Ranking of the Most Influential Persons in the History ,New York ,1978के सफ़ा33 पर लिखते हैं कि 'हो सकता है कि दुनिया की सबसे बा-असर शख़्सियतों की फ़हरिस्त में सब से पहले मुहम्मदﷺके नाम का मेरा इंतिख़ाब कुछ क़ारईन के लिए ताज्जुबख़ेज़ अमर हवावर दूसरे कुछ लोगोंके लिए सवाल का बाइस बने। लेकिन वही तन-ए-तन्हा तारीख़ में एक ऐसी हस्ती हैं जो सैकूलर और मज़हबी दोनों सतहों पर मुकम्मल तौर पर कामयाब थे । ये बात तक़रीबन यक़ीनी है कि इस्लाम का इज़ाफ़ी असर ईसाईयत पर ईसा मसीह और सेंट पाल के मुशतर्का असर से वसीअ है और मेरे एहसासात के मुताबिक़ सैकूलर और मज़हबी मिलाप का ये फ़ाक़िद उल-मिसाल असर,ही है जो मुहम्मदﷺ को तारीख़ इन्सानी में बुला शिरकत-ए-ग़ैरे सबसे ज़्यादा मोस्सर शख़्सियत होने का अहल बनाता है ।

3) ऐम के गांधी की तहरीर जो1924 मेंYoung India मैं शाय हुई ’मेरी ख़ाहिश थी कि इस शख़्स की ज़िंदगी के बारे में अच्छी तरह मालूमात हासिल करूँ जिसकी आज करोड़ों लोगों के दिलों पर हुकूमत चल रही है। मुझे पहले से ज़्यादा यक़ीन हो गया कि वो तलवार नहीं थी जिसने निज़ाम हयात में इस्लाम के लिए जगह बनाई बल्कि ये इंतिहा दर्जा की सादगी , नबीﷺ) की कामिल तवाज़ो ,वादू निका हद दर्जा पास वलहाज़, उन का अपने दोस्तो नावर मुतबईन के लिए ख़ुद को वक़्फ़ कर देना , उनकी बहादुरी , दिलेरी ,ख़ुदा की ज़ात में मुकम्मल एतिमाद और उनका मिशन था जिसने हर चीज़ को उनके सामने झुका दिया और तमाम रुका विटू निको ख़त्म कर दिया।

4) थोमस कलाइलThomas Calyle मुतअज्जिब हो कर ये कहने पर मजबूर हुआ कि 'किस तरह से एक तन-ए-तन्हा आदमी आपस में लड़ने वाले क़बीलों ओ रखाना बदोश बद्दूओं को दो दहाईयों से भी कम अरसा में एक सबसे ज़्यादा ताक़तवर और मुहज़्ज़ब क़ौम की शक्ल में जोड़ने में हुआ!'अलिफ

5) सर बरनार्डशाSir Bernard Shaw आपﷺ के बारे में कहते हैं :'जितने भी लोग आज तक दुनिया में आए वो उनमें सबसे ज़्यादा अज़ीम इन्सान थे । इन्होंने एक मज़हब की तब्लीग़ की , एक रियासत की तामीर की , अख़लाक़ी ज़वाबत मुतय्यन किए , बहुत सारी समाजी और सयासी इस्लाहात कीं ,अपनी तालीमात को पेश करने और उन पर अमल करने के लिए इन्होंने एक ताक़तवर मुतहर्रिक समाज क़ायम किया और आने वाले सारे ज़मानों के लिए इन्सानी दुनिया में एक ज़बरदस्त इन्क़िलाब बरपा कर दिया ।

6) अल्फोंसो दी लामर् टाउनAlfonso de Lamar tine एक मशहूर तारीख़दां गुज़रे हैं । इन्होंने आपﷺ की अज़मत पर ताज्जुब करते हुए कहा है कि ’मुहम्मद बैयकवक़त फ़लसफ़ी, मुक़र्रर, पैग़ंबर, क़ानूनदां , जंग-जू ,ख़्यालात का फ़ातिह ,माक़ूल अक़ाइद और माबूद इन बातिला से पाक दीनी रसूम को रिवाज बख़शने वाला और रुहानी सलतनत के बानी थे । इन तमाम मयारों का लिहाज़ करते हुए जिनके ज़रीया इन्सानी अज़मत को नापा जा सकता है , हम बला झिझक पूछ सकते हैं क्या एन ﷺ) से भी अज़ीम शख़्सियत कोई है ?

(Alfonso de Lamar tine , HISTOIRE DE LA TURQUIE , Paris,1854,Vol:11,pp276-277)

7) लेन पोल Lane Pool)का कहना है कि :'वो सबसे ज़्यादा वफ़ादार पासबान,सबसे ज़्यादा शीरीं ज़बां और दौरान गुफ़्तगु सबसे ज़्यादा ख़ुशअतवार थे।जिन्होंने उनको देखा वो उनकी बहुत ताज़ीम करने लगे ऊर्जो उनके क़रीब आए वो इन्हींके हो गए । जिन्होंने भी आपकी हयात तुय्यबा का नक़्शा खींचा है उनका कहना है कि 'हमने उनसे पहले या उनके बाद इन जैसा किसी को नहीं देखा वो अक्सर कम सुख़नी से काम लेते लेकिन जब कभी वो कलाम करते तो बहुत ही सोच बिचार कर और फ़साहत-ओ-बलाग़त के साथ करते हत्ता कि अपने तो अपने ग़ैर भी उनके शीरीं कलाम को ना भुला सके । (Speeches and Table Talk of the Prophet Muhammad )

8) प्रोफ़ैसर जुलिअस मिस्र मीनProfessor Jules Masserman ने लिखा है पुस्तेवरPasteurऔर सालिकSalikजैसे लोग पहले एतबार से लीडर हैं ।गांधीGandhiऔर कनफ़ीवशसConfuciusजैसे लोग एक तरफ़ और अलेक्ज़ेण्डरAlexander،क़ैसरCaesarऔर हिटलरHitlor दूसरी जानिब दूसरे मफ़हूम में और शायद कि तीसरे मयार के मुताबिक़ लीडर हैं । ईसाJesus और बुद्धाBuddhaतन्हा तीसरे दर्जा में हैं । शायद कि ज़मानों में सबसे बड़े लीडर मुहम्मद ﷺ)हैं जो इन तीनों सिफ़ात का पर्तो हैं ।

9) दीवान चंद शर्माDiwan Chand Sharma के मुताबिक़ 'मुहम्मदﷺ मुजस्सम रहम थे जिन्होंने अपने इर्द-गिर्द के लोगों पर इतना गहिरा असर छोड़ा कि वो उन्हें कभी फ़रामोश ना करसके ।

10) जान विलियम डरेपर ऐम ईल एलडीJohn William Draper,M.D.,L.L.D.के मुताबिक़ :'जसटीनीनJustinian की569ईसवी की मौत के4/साल बाद अरब के मक्का में वो आदमी पैदा हुआ जो नसल इन्सानी पर तमाम इन्सानों से ज़्यादा मोस्सर साबित मुहम्मद(ﷺ) ۔۔۔'A Hisory of the Intellectual Development of Europe. Lodon 1875,Vol:1 pp329-330)

11) प्रोफ़ैसर हर गिरों जीProfessor HURGRONJE के अलफ़ाज़ में :'क़ौमों के इस इत्तिहाद ने ,जिसकी बुनियाद पैग़ंबर इस्लाम के ज़रीया रखी गई ,आलमी इत्तिहाद और इन्सानी उखुवत के क़वानीन आलमी सतह परइस तरह वज़ा किए कि वो दूसरी तमाम क़ौमों के लिए मिशअल-ए-राह बन गए । वो मज़ीद लिखते हैं कि 'हक़ीक़त यही है कि दुनिया की सारी कौमें ऐसी मिसाल पेश करने से क़ासिर हैं जैसी क़ौमों के इत्तिहाद के नज़रिया की मिसाल इस्लाम ने पेश की है ।

12) एनी बीसंतAnnie Besant के मुताबिक़: जोभी अरब के अज़ीम नबी की ज़िंदगी और अख़लाक़ का मुताला करे और ये भी मालूम करे कि इन्होंने कैसे ज़िंदगी गुज़ारी और ज़िंदगी के उसूल-ओ-आदाब सुखाय,उस के लिए अज़ीम नबी की ताज़ीम करने के इलावा कोई चारा ना होगा जो कि अल्लाह के एक सबसे अज़ीम पैग़ंबर हैं । गरचे जो कुछ भी मैं आपके सामने रख रहा हूँ उस के बारे में मैं कहूँगा कि मुम्किन है कि इन मेंसे बहुत सारी चीज़ें बहुत से लोगोंके लिए नई ना हूँ, फिर भी में जब उन्हें दुबारा पढ़ता हूँ तो मैं ख़ुद तारीफ़ का एक नया तरीक़ा और इस अज़ीम अरब के उस्ताद के लिए ताज़ीम का एक नया तर्ज़ महसूस करता हूँ । The life and Teachings of Muhammad, Madras 1932,p4)

13) इन्साईक्लो पीडीया ब्रिटानीकाEncyclopedia Britannica :’मुहम्मदﷺ) तमाम अनबया-ए-और मज़ही शख़्सियात में सबसे ज़्यादा कामयाब शख़्सियत हैं ।

14) रियो आर बू सूरथ असमथRev. R Bosworth- Smithअपनी किताब Muhammad and Mohammadanism 1946मैं लिखते हैं'क़िस्मत के धनी होने के एतबार से मुहम्मदﷺ तारीख़ में एक अदीमुल्मिसाल शख़्सियत हैं जो एक क़ौम , एक सलतनत और एक मज़हब के बुला शिरकत-ए-ग़ैरे बानी हैं ।

’सलतनत और चर्च दोनों के सरदार ,वो एक हैज़ा त में क़ैसर और पोप थे , वो पोपों के तसना से ख़ाली एक पोप और केसरों की बड़ी तादाद में तैयार फ़ौज , मुहाफ़िज़, पुलिस फ़ोर्स ओ रमतईन आमदनी के बग़ैर वो एक क़ैसर थे । अगर किसी आदमी को कभी ये कहने का हक़ हासिल हुआ कि उसने ख़ुदाई मंशा-ए-के मुताबिक़ हुकूमत की तो मुहम्मद ﷺ थे । कीवनका मुआवनीन की ताईद के बग़ैर भी उनके पास ये सारी ताक़तें थीं । इन्होंने कभी ताक़त के इज़हार की पर्वा नहीं की ।उनकी ज़ाती सादगी उनकी अवामी ज़िंदगी की तरक़्क़ी का राज़ थी ।

आलम के बड़े बड़े दानिशवरों की बेशक़ीमत आरा की रोशनी में ये बात बिलकुल वाज़िह हो गई कि आजकल दुश्मनाँ इस्लाम आप ﷺकी तस्वीर पेश कर रहे हैं इस का आपकी शख़्सियत से दूर का भी ताल्लुक़ नहीं है ।दरहक़ीक़त आप ﷺ की ज़ात इतनी अज़ीम थी कि आप पर लब-कुशाई की जुर्रत चांद के साफ़ सफ़ाफ़ शबिया पर थूकने के मुतरादिफ़ है ।बुलंद पाए के ग़ैर मुतअस्सिब जिन मुफ़क्किरीन और दानिश्वर हज़रात ने आप ﷺकी ज़िंदगी का गहिरा और मुकम्मल मुताला किया वो आपﷺ की अज़मत को सलाम करते हैं। तमाम तारीफ़ें अल्लाह के लिए हैं जो कि इस कायनात का अज़ीम ख़ालिक़ है और जिसने ऐसे अज़ीम पैग़ंबर को वजूद बख़्शा जिनकी अज़मत को सफ़ा क़िरतास पर मारज़ वजूद में लाना जू-ए-शीर लाने के मुतरादिफ़ है ।इस बाब का हरफ़-ए-आख़िर यही है कि आपﷺकी ज़िंदगी ना सिर्फ सारी इन्सानियत के लिए एक बेहतरीन नमूना है बल्कि उन लोगोंके लिए जिन्होंने आपﷺ की हयात आईना-ए-दार पर धब्बा लगाने की नाकाम कोशिश की

सूरत तेरी मयार कमालात बनाकर

दानिस्ता मुसव्विर ने क़लम तोड़ दिया है



मज़मून निगार मशहूर आलम दीन और दार-उल-उलूम देवबंद के शोबा अंग्रेज़ी ज़बान वादब के के उस्ताज़-ओ-निगरां हैं

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