तहफ़्फ़ुज़े शरीअत और इस्लाहे मुआशरा ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के मुख्य उद्देश्य हैं!

 

तहफ़्फ़ुज़े शरीअत और इस्लाहे मुआशरा ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के मुख्य उद्देश्य हैं!


ख़ुत्बा-ए-जुमा मिल्लत की मुआशरती इस्लाह का बेहतरीन ज़रिया है: मौलाना मुहम्मद उमरैन महफ़ूज़ रहमानी

नई दिल्ली, 17 जनवरी (प्रेस विज्ञप्ति): ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड भारत में मुसलमानों के पर्सनल लॉ में सरकार और बहुसंख्यक समाज के हस्तक्षेप से बचाव करता रहा है, साथ ही मुसलमानों से शरीअत के नियमों का पालन करने की मांग करता रहा है तथा मुसलमानों को अपनी इस्लाह स्वयं करने के लिए आमंत्रित करता रहा है। तहफ़्फ़ुज़े शरीअत और इस्लाहे मुआशरा दोनों ही बोर्ड के उद्देश्यों में से हैं। उक्त विचार ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सोशल मीडिया डेस्क के संयोजक और बोर्ड के सचिव हज़रत मौलाना मुहम्मद उमरैन महफ़ूज़ रहमानी ने व्यक्त किए।

           मौलाना ने कहा कि इस्लामी उपदेशों के प्रसार व प्रचार के लिए ख़ुत्बा-ए-जुमा को सदैव एक केंद्रीय स्थान प्राप्त रहा है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि जुमा का ख़िताब (सम्बोधन) मिल्लत के सामाजिक सुधार का सबसे अच्छा साधन है। उन्होंने कहा कि दीन और उसके आदेशों से ग़फ़लत के इस दौर में भी बड़ी संख्या में मुसलमान जुमा की नमाज़ में उपस्थित होते हैं और बड़ी संख्या में लोग नमाज़ से पहले मस्जिद में उपस्थित होने का प्रयास करते हैं और इस अवसर को ग़नीमत जानते हुए इबरत और नसीह़त की बातें जुमा की नमाज़ से पहले बयान की जाती हैं जिससे उम्मत को बड़ा फ़ायदा होता है। मौलाना ने कहा कि इस्लाम ने कितनी सुंदर व्यवस्था दी है कि बिना किसी घोषणा के मुसलमान ग़ुस्ल करके, साफ़ सुथरे होकर, अच्छे कपड़े पहन कर, इत्र लगा कर जुमा की नमाज़ की अदायगी के लिए मस्जिद में इकट्ठा होते हैं और न केवल यह है कि वे अल्लाह तआला की इबादत करते हैं बल्कि वहाँ से दीन, ईमान, नैतिकता और समाज के एक महत्वपूर्ण संदेश लेकर लौटते हैं। यदि ग़ौर किया जाए तो जुमा का यह इज्तेमा सबसे बड़ा मीडिया है जिसका अपना एक महत्व है। यदि योजनाबद्ध तरीक़े से इसका उपयोग किया जाए तो इसके असाधारण परिणाम हो सकते हैं। इसलिए ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का प्रयास है कि ख़ुत्बा-ए-जुमा को यथासंभव प्रभावी बनाया जाए और महत्वपूर्ण विषयों पर आयात व रिवायात और आसार-ए-वाक़्यात की रोशनी में अच्छा ख़िताब-ए-जुमा तैयार करके उलमा व ख़ुतबा (उपदेशकों) हज़रात को प्रदान किया जाए। इस आवश्यकता के मद्देनज़र सोशल मीडिया डेस्क ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की ओर से ख़ुत्बा-ए-जुमा को संयोजित करने और ख़ुतबा-ए-किराम और मस्जिदों के इमामों के मार्गदर्शन करने के लिए प्रत्येक सप्ताह "ख़ुत्बा-ए-जुमा" का प्रेषण जारी है। अल्हम्दुलिल्लाह अब तक 55 ख़ुत्बात जारी किए गए हैं जिससे लोग फ़ायदा उठा रहे हैं और विभिन्न स्थानों पर मस्जिदों के इमाम इसे पढ़ कर सुना रहे हैं। अल्हम्दुलिल्लाह अच्छे परिणाम दिखाई दे रहे हैं। मौलाना मुहम्मद उमरैन महफ़ूज़ रहमानी साहब ने इमामों से अनुरोध किया है कि वे सीधे तौर पर व्हाट्सएप्प या टेलीग्राम के द्वारा बोर्ड का ख़ुत्बा-ए-जुमा प्राप्त करने के लिए अपना नाम, पता और नंबर 7030320073 या 8788657771 पर भेजें। उन्होंने इस्लामी भाइयों से अपनी निकटतम मस्जिद का नाम, इमाम साहब का नाम और उनके व्हाट्सएप नंबर को भी भेजने का अनुरोध किया ताकि उन्हें ख़ुत्बा-ए-जुमा भेजा जा सके। इसके अलावा ख़ुत्बा-ए-जुमा बोर्ड के आधिकारिक टेलीग्राम चैनल और फ़ेसबुक पेज से प्राप्त किए जा सकते हैं।


🎁 प्रेषक: सोशल मीडिया डेस्क ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड



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