मुस्लिम छात्राओं को हिजाब से रोकना व्यक्तिगत स्वतंत्रता में हस्तक्षेप के बराबर


मुस्लिम छात्राओं को हिजाब से रोकना व्यक्तिगत स्वतंत्रता में हस्तक्षेप के बराबर


मौलाना ख़ालिद सैफुल्लाह रहमानी महासचिव ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का वक्तव्य

नई दिल्ली 7 फ़रवरी 2022 ई0

      ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव महोदय हज़रत मौलाना ख़ालिद सैफ़ुल्लाह रहमानी साहब ने कर्नाटक में मुस्लिम छात्राओं को हिजाब से रोकने की पृष्ठभूमि में कहा कि कर्नाटक दक्षिण का एक महत्वपूर्ण राज्य है और धार्मिक सद्भाव उसकी पहचान है लेकिन दुःखद कि यहाँ भी राष्ट्रीय एकता को तितर-बितर करने का प्रयास किया जा रहा है, उडुपी और कर्नाटक के कुछ दूसरे क्षेत्रों के कुछ स्कूलों में मुस्लिम छात्राओं को हिजाब से रोकना ऐसे ही षड्यंत्र का हिस्सा है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड इसकी कड़ी निन्दा करता है, वेशभूषा का सम्बंध निजी पसन्द से है और यह मामला व्यक्तिगत स्वतंत्रता की श्रेणी में आता है इसलिए इसको विषय बना कर समाज में कलह उत्पन्न करना उचित नहीं है, प्रत्येक व्यक्ति को यह स्वतंत्रता होनी चाहिए कि वह अपनी पसंद की वेशभूषा धारण करे, भारत में धर्मनिरपेक्षता का अर्थ यह बिल्कुल नहीं है कि कोई व्यक्ति या समूह अपनी धार्मिक पहचान को उजागर न करे, हाँ यह बात अवश्य धर्मनिरपेक्षता में शामिल है कि सरकार किसी धर्म विशेष की पहचान को सभी नागरिकों पर उसकी इच्छा के विपरीत न थोपे, इसलिए कर्नाटक सरकार को चाहिए कि दूसरे सरकारी स्कूलों में न किसी विशेष वेशभूषा को पहनने का आदेश दे और न किसी समूह को उसकी पसन्द की वेशभूषा धारण करने से रोके।


✍🏼 जारीकर्ता:

*_डॉ. मुहम्मद वक़ारुद्दीन लतीफ़ी_*

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