हिंदी आसिम ताहिर आज़मी
अल्लाह तआला फरमाते हैं
’’وَمَا تُقَدِّمُوْا لِأَنْفُسِکُمْ مِنْ خَیْرٍ تَجِدُوْہُ عِنْدَ اللّٰہِ ہُوَ خَیْرًا وأعْظَمَ اَجْرًا‘‘۔ (المزمل: ۲۰)
अनुवाद: और जो भी अच्छा काम आप अपने लिए आगे भेज दोगे, तो उसे अल्लाह के पास पहुँच कर उससे अच्छा और बड़ा सवाब में पाओगे।
مَثَلُ الَّذِیْنَ یُنْفِقُوْنَ أَمْوَالَہُمْ فِيْ سَبِیْلِ اللّٰہِ کَمَثَلِ حَبَّۃٍ أَنْبَتَتْ سَبْعَ سَنَابِلَ، فِيْ کُلِّ سُنْبُلُۃٍ مِائَۃُ حَبَّۃٍ، وَاللّٰہُ یُضَاعِفُ لِمَنْ یَشَائُ وَاللّٰہُ وَاسِعٌ عَلِیٔمٌ‘‘۔(البقرہ: ۲۶۰)
अनुवाद: जो लोग अल्लाह के रास्ते में अपने धन को खर्च करते हैं, उनके खर्च किये हुवे धन की स्थिति ऐसी है जैसे एक दाने की स्थिति की तरह होती है, जिसमें से सात बालैं बंधी होती हैं, प्रत्येक बाल के अंदर सौ दाने होते हैं, और यह अल्लाह जिसे चाहता है अता कर देता है और अल्लाह बड़ी वुसअत वाले, सब जानने वाले हैं । (ब्यान-उल-कुरान,: 1/179)
हज़रत इब्न अब्बास की रिवायत है कि, पवित्र पैगंबर लोगों में सबसे सखी थे और रमजान के महीने में हज़रत जिरईल से मिलने के बाद और सखी होजाते' उन दिनों आप की सखावत नफा बख्श हवाओं के नफा से भी आगे बढ जाती।
रोजा का तकाजा ये है कि भूखों को भोजन दिया जाए, मिसकीनौ को अतया दिया जाए और गरीबों को तुहफा दिया जाए।
रमजान का महीना दान के लिए एक अद्भुत मौसम है और जो लोग खर्च करते हैं उनके लिए एक अच्छा अवसर है।
कवि कहता है:
यदि अल्लाह ने आपको धन दिया है, तो जो कुछ उसने आपको दिया है, उसमें से कुछ खर्च करें! क्योंकि धन एक अस्थायी चीज है और उम्र भी समाप्त हो जाएगी, धन की हैसियत पानी की तरह है, अगर पानी का प्रवाह बंद होजाए तो बदबू पैदा होगी और अगर पानी बह रहा है तो मीठा और ताजा पानी उपलब्ध होगा।
बेशक, दान, अल्लाह के मार्ग में खर्च करना बहुत अच्छा है। अल्लाह के रसूल , कहते हैं कि हर सुबह दो फरिश्ते आवाज लगाते हैं, उनमें से एक कहता है, हे अल्लाह! जो लोग खर्च करते हैं, उन्हें सबसे अच्छा इनाम दें और दूसरा कहता हैं कि जो धन का नाश करता है उसे नष्ट कर दे।
जब भी कोई व्यक्ति खर्च करता है, अल्लाह उसे जिस्मानी और मानसिक शांति के साथ-साथ उसके प्रावधान में और विस्तार कर देते हैं।
एक हदीस है जिसमें नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने कहा: “दान गलतियों को खत्म करता है क्योंकि पानी आग को बुझाता है, गलतियों और पापों की दिल सोजिश रोह में तपिश और जीवन में में ऐसी जलन होती है कि जिसको केवल सदका दूर करसकता है सदका गुनाहों को खत्म करता है और आत्मा को पवित्रता और परिपक्वता देता है।
पवित्र नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने कहा: महशर के दिन, प्रत्येक व्यक्ति अपने सदके के साए में रहेगा, जब तक कि लोगों के बीच कोई निर्णय नहीं हो जाता।
कितनी हैरत की बात है कि सदका का भी में एक मोटा साया होगा , जिसके नीचे अल्लाह के महशर के दिन साया प्राप्त करेंगे और प्रत्येक व्यक्ति की साया उसके दुनियावी सदके के बराबर होगा।
हज़रत उसमान बिन अफ्फान बहुत धनी थे, उन्होंने अपना सारा धन अल्लाह की खातिर खर्च कर दिया, तबूक की सेना तैयार की, मुसलमानों के लिए बीरे रोमा को खरीदा और दान के माध्यम से अल्लाह की खुशी के उम्मीदवार बन गए।
हज़रत अब्दुल रहमान बिन ओफ भी बहुत धनी थे, उन्होंने एक बार मदीना के गरीबों को सात सौ ऊनटौं का सामान दान कर दिए।
बहुत सारे रोजा रखने वाले लोग हैं जिन्हें रोटी का एक टुकड़ा, दूध का एक घूंट और खजूर का एक टुकड़ा नहीं मिलता है।
कई रोजा रखने वाले ऐसे भी हैं जिनके पास रहने के लिए एक मामूली घर नहीं है और यहां तक कि यात्रा करने के लिए एक मामूली सवारी भी नहीं।
और कई रोजा रखने वाले ऐसे लोग हैं जिनके पास इफ्तार और सेहरी के लिए कुछ भी नहीं है।
अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने कहा: "जो कोई रोज़ा दार को इफ्तार कराया तो उस रोजा दार बकदर है इनाम मिलेगा और रोजा दार के इनाम में कोई कमी नहीं होगी।
अतीत में, अल्लाह के कई अच्छे सेवक थे जो गरीबों और जरूरतमंदों की एक जमाअत को इफतार की जिम्मेदारी लेते थे ताकि वे अल्लाह से अधिकतम इनाम के हकदार होंगे।
पूर्वजों के समय में, मस्जिदों में पहले से भोजन भेज दिए जाते थे, ताकि कोई भी रोजा दार व्यक्ति भूखा या जरूरतमंद न रहे।
कितनी अजीब बात है कि इन्सान अपने खाने, पीने और पहनने पर जो कुछ खर्च करता है, वह नष्ट हो जाएगा, केवल वह धन जो अल्लाह की खातिर खर्च किया होगा, बच जाएगा।
पवित्र कुरान में अल्लाह कहते हैं:
’’إِنْ تُقْرِضُوْا اللّٰہَ قَرْضًا حَسَنًا یُضَاعِفْہُ لَکُمْ وَیَغْفِرْلَکُمْ، وَاللّٰہُ شَکُوْرٌ حَلِیْمٌ‘‘۔ (التغابن: ۱۷)
रोजा दार व्यक्ति भी अपने दान और खर्च के माध्यम से अपने भगवान को पैसा उधार देता है ताकि वह जरूरत, गरीबी और दुख के दिन काम आ सके।
यदि कोयी रोजा दार व्यक्ति किसी रोज़ दार को एक धूंट पानी या दूध पिलाता है, एक खजुर या थोड़ा भोजन खिलाता है, या उसे कपड़े और फल देता है, तो ऐसा लगता है जैसे वह अपने लिए स्वर्ग का मार्ग प्रशस्त कर रहा है।
याद रखिए! दान की तरह धन की सुरक्षा और ज़कात की तरह धन का शुद्धि कहीं और नहीं हो सकती।
इतने सारे अमीर लोगों ने इस दुनिया में अपने धन, संपत्ति, खजाने, महल और इमारतों को छोड़ दिया और उसके बाद आखरत की यात्रा पर चले गए, लेकिन ये सभी चीजें अफसोस और हसरत के अलावा उनके लिए कुछ और काम की नहीं। , क्योंकि उन्होंने अपना धन सही जगह खर्च नहीं किया दिया। जिसका नुकसान उन्हैं कल क़यामत के दिन उठाना पडेगा।
والله المستعان
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