कल ईद है...ईद कल है | Tomorrow is Eid | Hindidastak

कल ईद है..... ईद कल है

रमजान के अनमोल पलों में खत्म होने में कुछ और पल हैं...कल ईद है...ईद है कल...क्या है ईद की हकीकत? ...ईद कैसे होती है?...यह किसके लिए होती है?
 ईद उस व्यक्ति के लिए नहीं है जो सबसे अच्छे कपड़े पहनता है ...उन लोगों के लिए भी नहीं जो अपने सामान और लोगों पर गर्व करते हैं...यह उन लोगों के लिए है जो वादे के दिन से डरते हैं ...जबरदस्त अर्श के मालिक से खौफ करे।
 ईद गाने बजाने का नाम नही ...ईद मसरूर कुन खेल का नाम नही ...ईद सुखद दृश्यों और मनोरंजन का नाम भी नहीं ...ईद तो ईश्वर के आशीर्वाद के लिए धन्यवाद का नाम है, यह उनके अच्छे कामों को स्वीकार करने का नाम ईद है, ईद इजहार ए नेमत का नाम है   दीन के एजाज़ और दुश्मनों की तज़लील की खातिर अहल ए ईमान के काफला में चलने और सफर करने का नाम ईद है।
 ईद के बारे में चंद बातें
 (१) ईद-उल-फितर के दिन, ईद की नमाज़ से पहले सुबह कुछ खाना: खाह वो खजूर ही क्यों न हों, ताकि जिस तरह रोज़ह की बाबत हम ने अल्लाह की इताअत की उस के हवाले से भी उस की फरमांबरदारी कर सकें,।
 (२) सदक़ा-ए-फ़ित्र का भुगतान: अहल ए ईमान को उपेक्षा से बचाने, ग़रीबों को खुश करने, एक दूसरे की मदद करने, मुसलमानों के बीच करुणा की भावना को पुनर्जीवित करने और लालच और वासना को मिटाने के लिए सदक़ा-ए-फ़ित्र का भुगतान करना आवश्यक है।
(३) नए कपड़े पहनना: ईद के दिन, दुनिया के रब के इहसानात के स्वीकार के लिए नए कपड़े पहनना, खुशबु लगाना, इसी तरह अल्लाह की दी हुई नेमतों का इजहार भी जरूरी है, क्योंकि एक हदीस में, अल्लाह के  नबी (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने फ़रमाया: जब अल्लाह तआला एक ग़ुलाम को बख़्श देता है, तो वह उस पर अपनी मेहरबानी ज़ाहिर करता है और उसी वक़्त उसके दिल में यह ख़याल होना चाहिए कि अल्लाह तआला  जमील है जमाल  को पसंद करता है।
 (४) ईद के दिन एक दूसरे से सलाम व मुलाकात और इजहार ए तअललुक भी होना चाहिए!
 (५) ईद के अवसर पर, रिश्तों का व्यवहार करना चाहिए, माता-पिता के साथ प्यार से पेश आना चाहिए, गरीब के साथ दयालुता का व्यवहार करना चाहिए और पड़ोसियों के साथ दया का व्यवहार करना चाहिए!
 (६) ईद के अवसर पर, मुसलमान शरीयत की सीमा और साहित्य के दायरे में रहकर अपनी खुशी का इजहार करे।  चुटकुले सुनाना, मुस्कुराना, मनोरंजन करना और कहानियां सुनाना कुछ भी गलत नहीं है।
 ईद के दिन सबसे बड़ा जमावड़ा होता है!  मालदार, गरीब, बड़े, छोटे, हाकिम, महकूम, नेक बखत, और ब्दबखत गरजे कि हजारों लाखों लोग ईद के लिए एक जगह इकट्ठा होते हैं।
 ईद का दिन इनाम का दिन होता है: इसलिए, जो कोई भी ईश्वर की दया की आशा में विशुद्ध विश्वास के साथ रोजह रखा, उसके लिए एक महान इनाम, एक बड़ी सफलता का एलान है, उसके उल्टे जिस ने कोताही की परवरदगार के आदेश के सामने सर तस्लीम खम किया, मर्यादाओं को भंग किया, जिसके लिए अफसोस और हसरत के अलावा कुछ न होगा।
जब लोग ईद गाह से लौटते हैं, तो दो तरह के लोग होते हैं:
 (१)एक तो लोग जिन लोगों को अल्लाह पुरस्कार देता है, उनमें से एक रमजान में उनके संघर्ष की सराहना करता है, उनके लिए माफी और सहमति की घोषणा करते हुए कहता है:
''إِنْصَرِفُوْا مَغْفُوْرًا لَکُمْ، فَقَدْ أَرْضَیْتُمُوْنِيْ وَرَضِیْتُ عَنْکُمْ ''
 (२) दूसरा समूह उन लोगों का है जो नुकसान में हैं, जो अफसोस और महरूमी के साथ ईद गाह से लौटते हैं।
 ईद के दिन एक बूढ़ा व्यक्ति कुछ ऐसे लोगों के पास से गुजरा जो खेल कूद में मशगूल थे तो उन्होंने उन लोगों से कहा कि! अगर तुम ने रमज़ान में नेक काम किया है तो एहसान का शुक्रिया ये नहीं, और अगर तुम ने बुरा काम किया है तो जिसने रहमान के साथ बुरा किया है वो उसके साथ बुरा नहीं करता,।
 उमर इब्न 'अब्दुल-अज़ीज़ ने देखा कि कुछ लोग अराफात से घोड़ों और ऊँटों पर वापस लौट रहे हैं और कहा: जो आगे  वह नहीं जिसका घोड़ा या ऊंट आगे है, बल्कि आगे वह है। जिसके पाप क्षमा छमा कर दिये जाएं!  मुसलमान! जरा सोचिए!  उन लोगों के बारे में जिनके साथ आपने पिछले वर्षों में ईद की नमाज़ अदा की है ...  आपके पूर्वज ...  , दोस्त ...  वे सब कहाँ हैं?  ... किस जगह चले गए
 सच है!  मौत ने कई के माता-पिता को चुप करा दिया!  बहुत सारे नेक नौजवान थे जो शरीफ परिवारों में रहते हुए गुजर गए!  अलाहिदगी ने  उन्हें तीर मारा! अब वो अंतिम यात्रा दल के साथ होलिये। जितने भी लोग गफलत में हैं, वो सब जानते हैं कि उनका दिल बेकार हो गया है। उन्होंने अल्लाह की खुशी के बदले में उन्होंने दुनिया को खरीदा, जब कि उन्हें पता था कि दुनिया नष्ट होने वाली है।
 रोजह दारो! कल ईद है ...  कल आपको मिलेगा इनाम ...  कल इनाम आपके नामा ए आमाल में लिखा जाएगा ...  प्रार्थना करो कि अच्छाही लिखा जाए! अब बस महान ईद के दिन की प्रतीक्षा करें! जिस दिन अल्लाह तआला अपनी क्षमा और मगफिरत की घोषणा करेंगे,।
''فَمَنْ زُحْزِحَ عَنِ النَّارِ وَأُدْخِلَ الْجَنَّۃَ فَقَدْ فَازَ، وَمَا الْحَیَاۃُ الدُّنْیَا إِلاَّ مَتَاعُ الْغُرُوْرِ'' (آل عمران: ۱۸۵)
  जिस व्यक्ति को नर्क से बचा कर स्वर्ग में दाखिल कर दिया गया, वही सफल है। यह दुनियावी जिंदगी तो महज धोके का सामान है,
खुदाया! हमारी इबादतों को कबूल फरमां! हमारे दिखावे को इखलास में बदल दे,
 ’’ربنا تقبل منا إنک انت السمیع العلیم ، وتب علینا إنک أنت التو اب الرحیم، ۔۔۔۔۔۔۔ آمین
समाप्त
 आपको हमारी ओर से बधाई हो, अब हमारा मामला और आपका मामला अल्लाह के हाथ में है, दोनों का अंजाम उसी के हाथ में है, हर किसी को उसका बदला मिलना है रमज़ान में रोजह, इबादत, तेलावत, तरावीह वगैरह दीगर नेक आमाल की उमदगी और उसके हुस्न के मुतअललिक बस अल्लाह को इल्म है वही हम सबका कारसाज है, दुआ है कि हम सब की मेहनत रिया से पाक साफ हो, अल्लाह के दरबार में कबूल हो,
''إِنَّ الَّذِیْنَ سَبَقَتْ لَہُمْ مِنَّا الْحُسْنٰی أَوْلٰئِکَ عَنْہَا مُبْعَدُوْنَ لاَ یَسْمَعُوْنَ حَسِیْسَہَا وَہُمْ فِیْہَا اشْتَہَتْ أَنْفُسَہُمْ خَالِدُوْنَ''
खुदाया! हम सब को उन नेक बंदों में शामिल फरमा! जिन की जहन्नुम से छुटकारा और जन्नत में दाखिले के मुतअललिक आप ने दुनिया ही में एलान कर दिया है,
 ’’ اللہم صل علی محمد وآلہ وصحبہ ‘‘

आइज़ बिन अब्दुल्लाह अल-क़रनी

हिन्दी: आसिम ताहिर आज़मी


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