हिन्दी: आसिम ताहिर आज़मी
आज हम अपने मोमिन भाइयों की सेवा में कुछ तुहफे देना चाहते हैं। एक मुसलमान के लिए हम सभी के मुकतदा, रहनुमा और नबी हजरत मुहम्मद मुस्तफ़ा सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की शिक्षाओं और मार्गदर्शन से बेहतर उपहार और क्या हो सकता है? विशेष रूप से रमजान के इस धन्य महीने में, हमारे उपवास करने वालों के लिए इससे बेहतर कुछ नहीं हो सकता है, इसलिए अमली जीवन के बारे में पैगंबर की कुछ अहादीस की सुगंध से आपको सुगंधित करना चाहुंगा, यकीन जानिए कि अगर अमल अमल हमारा साथी बन गया तो ये अहदीस दुनिया व आखिरत में हमारे लिए भलाई के रास्ते और सआदत व नेक बखती के दरवाजे खोलने में मददगार साबित होंगी,
नीचे अहादीस जिक्र की जा रही हैं।
(१) पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम इरशाद फरमाते हैं जिस शख्स ने सुबह सवेरे,
''لا الہ الا اللہ، وحدہ لا شریک لہ ، لہ الملک ولہ الحمد وہو علی کل شییٔ قدیر''
पढ़ा! हजरत इस्माइल अलैहिससालाम की गर्दन के बराबर उसको अजर मिलेगा, दस अच्छे कामों को लिखा जाएगा, दस पापों को मिटा दिया जाएगा, दस दरजात बलंद होंगे, और वह शाम तक शैतान से सुरक्षित हो जाएगा। और यदि कोई शाम को इस दुआ को पढ़ता है, तो वह सुबह तक उसी इनाम को प्राप्त करता रहेगा। (मसनद अहमद, अबू दाऊद, इब्न माजाह)(२) एक हदीस में अल्लाह के रसूल फरमाते हैं : जिस शख्स ने सुबह व शाम के वक्त
''اَللّٰہُمَّ أَنْتَ رَبِّي لاَ إلٰہَ أَنْتَ خَلَقْتَنِيْ وَأَنَا عَبْدُکَ وَأَنَا عَلٰی عَہْدِکَ وَوَعْدِکَ مَا اسْتَطَعْتُ، أَعُوْذُبِکَ مِنْ شَرِّمَا صَنَعْتُ أَبُوْئُ لَکَ بِنِعْمَتِکَ عَلَيَّ ، وَأَبُوْئُ بِذَنْبِيْ، فَاغْفِرْلِيْ، فَإِنَّہُ لاَ یَغْفِرُ الذُّنُوْبَ إِلاَّ أَنْتَ ''
पढ़ा और उसी दिन या रात में उसकी वफात होगइ तो वो जन्नत में दाखिल होगा (इमाम बुखारी ने इस हदीस को दोसरे अल्फाज में रेवायत किया है, मुसनद अहमद, अबु दाऊद, नसाई इब्न माजह,)(३) नबी ए अकरम इरशाद फरमाते हैं कि अगर कोई शख्स सुबह व शाम के वक्त
''سبحا ن اللہ العظیم وبحمدہ ''
सौ मरतबा पढ़ता है तो कियामत के दिन कोई भी शख्स अपने नामा ए आमाल में उससे बड़ा अजर नहीं लाएगा हां! वो शख्स जिसने ये दुआ पढ़ी होगी, (मुस्लिम, मुसनद अहमद, अबु दाऊद, तिरमिज़ी,)(४) आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम इरशाद फरमाते हैं कि जिस शख्स ने
’’رَضِیْتُ بِاللّٰہِ رَبًّا وَبِالْإِیْلاَمِ دِیْنًا وَبِمُحَمَّدٍ نَبِیًّا ‘‘
पढ़ लिया तो उसके लिए जन्नत वाजिब होगई,(५)इरशाद फरमाया पैगंबर ने कि जिस शख्स ने
’’سبحا ن اللہ وبحمدہ ‘‘
एक दिन में सौ मरतबा पढ़ा तो उसके गुनाह मिटा दिये जाएंगे, अगरच समुंदर के झाग के बराबर क्यों न हों,(६) नबी ए रहमत सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम इरशाद फरमाते हैं, जिसने शाम के वक्त
''بِسْمِ اللّٰہِ الَّذِيْ لاَ یَضُرُّ مَعَ اسْمِہٖ شَيئٌ فِيْ الْأَرْضِ وَلاَ فِيْ السَّمَائِ وَہُوَ السَّمِیْعُ الْعَلِیْمُ ''
तीन मरतबा पढ़ा तो सुबह तक उसे कोई मुसीबत और परीशानी नही पहुंच सकती, और जिस शख्स ने सुबह के वक्त ये दुआ पढ़ ली तो उसको शाम तक कोई मुसीबत नहीं पहुंच सकती, (अबु दाऊद, इब्न माजह, मुसतदरक हाकिम)(७) पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम फरमाते हैं :कि जो शख्स घर से निकलते वक्त :
''بِسْمِ اللّٰہِ تَوَکَّلْتُ عَلَی اللّٰہِ، لاَ حَوْلَ وَلاَقُوَّۃَ إِلاَّ بِاللّٰہِ ''
पढता है तो उससे कहा जाता है कि अल्लाह तेरा मुहाफिज है और शैतान को उससे दूर कर दिया जाता है (तिरमिज़ी, अबु दाऊद, इब्न हिबबान)(८) हुज़ूर ककरम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम फरमाते हैं : अगर कोई शख्स अजान सुनते वक्त
''وَاَنَا أَشْہَدُ اَنْ لاَ إِلٰہَ إِلاَّ اللّٰہُ وَحْدَہُ لاَ شَرِیْکَ لَہُ، وَأَشْہَدُ أَنَّ مُحَمَّدًا عَبْدُہُ وَرَسُوْلُہُ رَضِیْتُ بِاللّٰہِ رَبًّا وَبِمُحَّمَدٍ رَسُوْلاً، وَبِالْإِسْلاَمِ دِیْنًا ''
पढ़ता है तो उसके सारे साबका गुनाह माफ कर दिये जाते हैं, (मुस्लिम)(९) आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम इरशाद फरमाते हैं जो शख्स
’’قل ہو اللہ احد ‘‘
दस मरतबा पढता है, अल्लाह उसके लिए जन्नत में एक घर तामीर करते हैं, (मुसनद अहमद)(१०) हज़रत मुहम्मद मुस्तफ़ा सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम कहते हैं: जो कोई शुक्रवार को सूरह काहफ का पाठ करता है, तो अल्लाह अगले शुक्रवार तक उसके लिए रोशनी का काम करता है । (मुस्तदरक हाकिम, बेहकी)
(११) आप इरशाद फरमाते हैं कि जो शख्स "आयतल कुर्सी" पढ़ता है उसको जन्नत में दाखिल होने से कोई चीज नहीं रोक सकती, (इब्न हिबबान, नसाई)
(१२) इरशाद फरमाया आप ने कि जिस शख्स ने
"قل هو الله أحد"
पड़हा उसने गोया तिहाई कुरान पढ लिया (मुसनद अहमद, नसाई, तिरमिजी)(१३) आप का फरमान है: जिसने एक रात में सौ आयतैं पढ लीं उसके लिए एक रात की इबादत लिखी जाती है, (मुसनद अहमद, नसाई)
वह कहता है कि प्रत्येक अनिवार्य प्रार्थना के बाद किसी व्यक्ति को "आयत-उल-कुरसी" सुनाने से कोई नहीं रोक सकता। (इब्न हब्बन, निसाई)
पैगम्बर मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) की शिक्षाओं और आपकी खूबसूरत गुलदस्तों से ये चंद मुंतखबात आप की खिदमत में पेश किये गए हैं, रमज़ान के इन बाकी चंद लमहात में भी अगर हम ने सिर्फ इन्हीं दुआओं का एहतेमाम कर लिया तो रहमत हक बिला शुबह अपने इनआम व इकराम की बारिश से हमारी हमारी गुनाहों की सियाही को साफ कर देगी, अब हर इंसान अपना अपना जरफ देखे _____खुदाया! हमें अमल की तौफीक दे,
اللّٰہُمَّ أعِنَّا عَلٰی ذِکْرِکَ وَشُکْرِکَ وَحُسْنِ عِبَادَتِکَ۔ آمین
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