जानिए: पेट का रोजह | Pet Ka Rozah |


जानिए: पेट का रोजह | Pet Ka Rozah

हिन्दी :आसिम ताहिर आज़मी


खाना चाहे हलाल हो या हराम, उसका असर व्यक्ति के जीवन और चरित्र पर पड़ता है। यही कारण है कि अल्लाह कहता है:
یَا أَیُّہَا الرَّسُلُ کُلُوْا مِنَ الطَّیِّبَاتِ وَاعْمَلُوْا صَالِحًا‘‘۔
(المؤمنون: ۵۱)

 अनुवाद: ऐ पैगंबरो!  अच्छी चीजें खाऊ और नेक काम करो।  (ब्यान-उल-कुरान, खंड २/५४२)

 दूसरे स्थान पर फरमाया है:
یَا أَیُّہَا الَّذِیْنَ آمَنُوْا کُلُوْا مِنْ طَیِّبَاتِ مَا رَزَقْنَاکُمْ وَاشْکُرُوْا لِلّٰہِ إِنْ کُنْتُمْ إِیَّاہُ تَعْبُدُوْنَ‘‘۔ 
(البقرۃ: ۱۷۲)
 अनुवाद: ऐ इमान वालो!  जो पाक चीजें हम ने तुम को दी है उन में से खाऊ और अल्लाह तआला की शुक्र गुजारी करो अगर तुम खास उस के साथ गुलामी का तअललुक रखते हो

 "तयबात" उन खानो को कहते हैं जिन्हें अल्लाह ने अपने रसुल की ज़ुबानी हलाल करार देते हुए फरमाया है।
وَیُحِلُّ لَہُمُ الطَّیِّبَاتِ وَیُحَرِّمُ عَلَیْہِمُ الْخَبَائِثَ‘‘۔ 
(الأعراف: ۱۵۷)
अनुवाद: और पाकिजा चीजों को उन के लिए हराम बतलाते हैं और गन्दगी चीजों को उन पर हराम फरमाते हैं

 पेट का रोज़ह यही है कि इन्सान उस को हराम खाने से महफुज रखे। और रमजान के महीने में पेट का रोज़ह यह भी है कि रोज़ह तोड़ने वाली कोई भी चीज़ न खाए और पीए,। इसी तरह अफतार के वक्त जब रोजह मुकम्मल हो तो सुद वगैरह से बचे कोई सुदी चीज न खाए अल्लाह तआला फरमाते हैं :।
یَا أَیُّہَا الَّذِیْنَ آمَنُوْا لاَ تَأْکُلُوْا الرِّبَا أَضْعَافًا مُضَاعَفَۃً''۔ 
(آل عمران: ۱۳۰)

 अनुवाद:!  ए इमान वालो सुद मत खाउ कइ हिस्से जाइद। (ब्यान-उल-कुरान, खंड १/२७३)

 दूसरे स्थान पर फरमाया है :।
وَأَحَلَّ اللّٰہُ البَیْعَ وَحَرَّمَ الرِّبَا‘‘۔ 
(البقرۃ: ۲۷۵)

 अनुवाद: और अल्लाह तआला ने बिक्री को वैध और सूदखोरी को हराम कर दिया है। (ब्यान-उल-कुरान, १/१८८)
इसी तरह हज़रत जाबिर ने कहा:
لَعَنَ رَسُوْل اللّٰہ صلی اللّٰہ علیہ وسلم آکِلَ الرِّبَا وَمُوْکِلَہُ وَکَاتِبَہُ وَشَاہِدَیْہِ وَقَالَ ہُمْ سَوَائٌ‘‘
 अनुवाद:  पैगंबर ने सुद खाने वाले सुद खिलाने वाले सुद के मामलात लिखने वाले और सुद की गवाही देने वालौं पर लानत भेजी है और आप ने ये भी कहा है कि ये सब गुनाह में यकसां हैं।
 सूदखोर खुद पर हंसता है, हराम चीजों से अपना पेट भरता है, इसी तरह वह अपने लिए दुआ की स्वीकृति के सभी दरवाजे बंद कर देता है, और फिर प्रार्थना करता है, पवित्र पैगंबर ने एक मौका पर परागनदा हाल, गुबार आलूद धूल और लंबे समय से यात्रा करने वाले व्यक्ति का उल्लेख करते हुए फरमाया :
''یَمُدُّ یَدَیْہ إِلَی السَّمَائِ وَمَطْعَمُہُ حَرَامٌ وَمَشْرَبُہُ حَرَامٌ وَغُذِّيَ بالْحَرَامِ فَأَنَّی یُسْتَجَابُ لَہُ''۔
यानी कभी-कभी इन्सान दुआ के लिए हाथ फैलाता है हलांकि उसका खाना पीना बल्कि उसकी मुकम्मल हराम की होती है तो भला ऐसे शख्स की कैसे कुबूल होगी। भले ही उसका खाना-पीना हो,
 यह एक ऐसे व्यक्ति का हाल है जो बहुत पूजा करता है, लेकिन खाने और पीने तकवा इख्तियार नहीं करता।

 ।  उस व्यक्ति का रोजह कैसे कुबूल हो सकता है जो सूद खाता है, हराम  कमाई उसका भोजन है, धोखा दही उस का शेवा है यतीम का माल और ना हक हासिल शुदा माल माल खाने में उस को लुत्फ मिलता हो।

 * जब खाना-पीना हलाल न हो तो व्यक्ति का स्वाद कैसे अच्छा हो सकता है?  दिल कठोर कैसे नहीं हो सकता?  हराम लुकमा तो इमान का नुर  बर्बाद कर देता है।

 • हजरत अबू बक्र सिद्दीक ने एक बार खाना खाया, फिर अपने नौकर से पूछा कि यह खाना कहां से आया?  तो उन्होंने कहा कि यह भोजन उस "कहानत" की कमाई से आया है, जो जलिय्याह के समय में मेरा पेशा था, इसलिए हज़रत अबू बक्र ने हिंसक रूप से उल्टी की और सभी भोजन निकाल दिये।
पेट में मोजोद एक लुकमा भी गोश्त और खाने के साथ असर अन्दाज होता है और शरीर को जो हराम भोजन से पोषित होता है, नरक की सजा से अधिक सुशोभित होती है।

 सलाफ-ए-सलीहिन को पता था कि उनका भोजन कहाँ से आता है, वे हराम से बचते थे, इसलिए उनकी आत्माएं शुद्ध थीं, उनके शरीर स्वस्थ थे और उनके दिल प्रबुद्ध थे, लेकिन जब आज के लोगों का भोजन भ्रष्ट हो गया  पैगंबर का इर्शाद है
مَا أَکَلَ عَبْدٌ طَعَامًا خَیْرًا مِنْ أَنْ یَأْکُلُ مِنْ کَسْبِ یَدِہ وَإِنَّ نَبِيَّ اللّٰہ دَاؤدَ علیہ السلام، کَانَ یَأْکُلُ مِنْ طَعَامِ یَدِہ
 अनुवाद: सबसे अच्छा भोजन इन्सान की खुद की कमाई का है। हज़रत दाऊद  हमेशा अपनी कमाई की  खाते थे, पैगंबर हज़रत ज़कारिया एक बढ़ई थे, हज़रत दाऊद  (लोहार) थे  जबकि पैगंबर मुहम्मद और अन्य पैगंबर बकरियों को चराते थे इसी लिए  इस्लाम हलाल कमाई और तलाबे रिजक की दअवत देता है
''وَلاَ تَقْرَبُوْا مَالَ الْیَتِیْمِ إِلاَّ بالَّتِي ہِیَ أَحْسَنُ ''۔ 
(الأنعام: ۱۵۲)
अनुवाद: और यतीम के माल के पास न जाओ न जाओ, मगर ऐसे तरीके से जो बेहतर हो।

 उसी तरह, उन्होंने कहा:
’’إِنَّ الَّذِیْنَ یَأْکُلُوْنَ أمْوَالَ الْیَتَامٰی ظُلْمًا إِنَّمَا یَأْکُلُوْنَ فِي بُطُوْنِہِمْ نَارًا وَسَیَصْلَوْنَ سَعِیْرًا‘‘۔ 
(نسائ: ۱۰)

 अनुवाद: बिला शुबह, जो यतीमौं के धन को बिना किसी अधिकार के खा जाते हैं और कुछ नहीं बल्कि अपने पेट में आग भर रहे हैं, और जल्द ही जलती हुई आग में दाखिल होनगे। 

 एक अन्य जगह पर फरमाया:

’’وَلاَ تَأْکُلُوْاا أَمْوَالَکُمْ بَیْنَکُمْ بِالْبَاطِل وَتُدْلُوْا بِہَا إِلَی الْحُکَّامِ لِتَأْکُلُوْا فَرِیْقًا مِنْ أَمْوَالِ النَّاسِ بِالْإثْمِ وَأَنْتُمْ تَعْلَمُوْنَ‘‘۔
(البقرۃ: ۱۸۸)

 अनुवाद: और एक दूसरे के धन का अनुचित रूप से उपभोग न करें, और उन को हुकाम के यहां इस गरज से रुजूह मत करु लोगों के हालौं का एक हिस्सा बतरीक गुनाह के खा जाऊ और तुम को इल्म भी न हो न ही पापी।
’’الَّذِیْنَ یَأْکُلُوْنَ الرِّبَا لاَ یَقُوْمُوْنَ إِلاَّ کَمَا یَقُوْمُ الَّذِي یَتَخَبَّطُہُ الشَّیْطٰنُ مِنَ الْمَسِّ‘‘۔ 
(البقرۃ: ۲۷۵)
अनुवाद: जो लोग सूदखाते हैं, वे एक ऐसे व्यक्ति के रूप में नहीं खड़े होंगे,  मगर जो शैतान द्वारा खड़े किये जाते है।  (ब्यान-उल-कुरान, खंड १/१८८)

 ।  उसी तरह से, पैगंबर ने कहा:
’’لَعَنَ اللّٰہُ الرَّاشِيْ وَالْمُرْتَشِيْ‘‘
 अनुवाद: रिशवत लेने वाले और देने वाले दोनो पर अल्लाह की लानत हो।
गलत मार्ग चलने वाले यहुद व नसारा का तजकरा करते हुए फरमाते हैं।
’’وَتَرٰی کَثِیْرًا مِنْہُمْ یُسَارِعُوْنَ فِي الْإثْمِ وَالْعُدْوَانِ وَأَکْلِہِمُ السُّحْتَ لَبِئْسَ مَا کَانُوْا یَعْمَلُوْنَ‘‘۔
(المائدہ: ۶۲)
 अनुवाद: और आप उनमें बहुत लोगों को देखते हैं जो दोड़ दोड़ कर गुनाह और हराम खाने पर गिरते हैं वाकई उन के ये काम बुरे हैं।
अल्लामा इब्न अल-जवजी सैय्यद अल-खतीर में अपनी कहानी सुनाई: उन्होंने एक बार एक संदिग्ध भोजन खाया, जिससे उनकी दिल की स्थिति बदल गई और लंबे समय तक यह प्रतीत हुआ कि उनका पूरा जीवन अंधेरे का शिकार होगई हो। ये हमारे पूर्वज थे जिनके दिल निश्चित रूप से शुद्ध थे, फिर उन्होंने दिल के परिवर्तन को सही महसूस किया, लेकिन आज हराम भोजन खाने की आदत आम हो गई है, इसलिए किसी को कुछ इहसास ही नहीं है।

 ।  कुछ लोग शराब की चीजों के आदी हो जाते हैं, इसलिए वे पूजा और आज्ञाकारिता का आनंद खो देते हैं और चिंता और बेचैनी का जीवन जीते हैं, खुशी और लोकप्रियता से वंचित हो जाते हैं।

 इसलिए, रोजह करने वाले को यह पता होना चाहिए कि रोजह पेट का भी  होता है, इसलिए खाने और पीने में पवित्रता, हराम और संदिग्ध मामलों से बचना आवश्यक है।

 ऐ अल्लाह  इसलिए हराम को हराम और हलाल को हलाल समझने की क्षमता के साथ तौफीक दे।  आमीन

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