रमज़ान और रोज़ह दारौं की कुछ ग़लतियाँ | Ramzan Aur Rozah Daron Ki Kuch Galatiyan |

रमज़ान और रोज़ह दारौं की कुछ ग़लतियाँ | Ramzan Aur Rozah Daron Ki Kuch Galatiyan |

हिन्दी : आसिम ताहिर आज़मी

 कुछ रोजह रखने वाले दीन से ना वाकिफियत के शिकार होते हैं नतीजतन रोजह के मफासिद से भी ना आशना होते हैं ऐसे लोगों की एक लंबी सूची है जो नहीं जानते हैं कि रोजह के टूटने का क्या कारण है।  रोजह दार के लिए क्या चीजैं मसनून हैं? क्या चीजैं जाइज है?और क्या चीजै अनिवार्य और हराम हैं?

 पवित्र नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने कहा:
مَنْ یُّرِدِ اللّٰہُ بِہ خَیْرًا یُفَقِّہْہُ فِي الدِّیْنِ
 और न ही वे धर्म के बारे में पूछताछ कि अल्लाह जिस के साथ अच्छा इरादा रखता है, उस को दीन की समझ अता फरमाते है मालूम हुवा कि जो लोग दीन की सही समझ नहीं रखते और न ही दीन के मतअललिक कुछ दरयाफत करते हैं ऐसे लोगों के साथ अल्लाह खैर का इरादा नहीं फरमाते हैं
इर्शाद फरमाया :।
''فَا سْأَلُوْا أَہْلَ الذِّکْرِ إِنْ کُنْتُمْ لاَ تَعْلَمُوْنَ''۔ (النحل:۴۳)
 अनुवाद: इसलिए यदि आप नहीं जानते हैं, तो विद्वानों से पूछें।  (बायन-उल-कुरान, २/३३३)
आयत में, " اهل الذكر" से मुराद उलमा हैं। इसलिए, जो मुसलमान बसीरत के साथ अल्लाह की इबादत और दीन पर अमल का खाहां हो।, उस को चाहिए कि दीन से मतअललिक जिन बातों से ना वाकिफ हो उन के बारे में जानने वालों से मालूम कर लेना चाहिए और दीन में समझ बूझ पैदा करे।
 कुछ रोजह दार बहुत बड़े बड़े गुनाह करते हैं उनके रोजह खो जाते हैं और रात में जागने का उनका सवाब समाप्त हो जाता है। उन गुनाहों में से एक गुनाह गीबत है जिसका तजकरा पहले आ चुका है इसी तरह चुगलखोरी अश्लीलता, मजाक करना और कोसना वगैरा गुनाह ज़ुबान के गुनाहों में शुमार होते हैं।

 रोजह रखने वालौं की गलतियों में से एक  सेहरी और इफ्तार में फालतू खर्चा करना है, ताकि ज्यादा मिकदार में खाने की मेज पर रखा जाए जो कि बड़ी पार्टियों के लिए पर्याप्त है, सभी प्रकार के  महंगे, सस्ते, खट्टे  मीठे और नमकीन खानौ की भरमार होती है। हालांकि जब खाने की नौबत आती है, तो इसे कम मात्रा में खाया जाता है, बाकी को बर्बाद कर दिया जाता है और फेंक दिया जाता है, जबकि यह इस्लामिक शिक्षण के खिलाफ है। अल्लाह कहते हैं।
’’وَکُلُوْا وَاشْرَبُوْا وَلاَ تُسْرِفُوْا إِنَّہُ لاَ یُحِبُّ الْمُسْرِفِیْنَ‘‘۔(الأعراف: ۲۱)
अनुवाद: और बे समय मत उडाना। बे शक बे मोका उड़ाने वाले शैतानों के भाई हैं, और शैतान अपने भगवान का बहुत ना शुकरा है  (ब्यान-उल-कुरान, २/३७०)

’’وَالَّذِیْنَ إِذَا أَنْفِقُوْا لَمْ یُسْرِفُوْا وَلَمْ یَقْتُرُوا وَکَانَ بَیْنَ ذٰلِکَ قَوَامًا‘‘۔(الفرقان: ۶۷)
 अनुवाद: और जब वे खर्च करना शुरू करते हैं, तो न तो वो फुजूल खरची करते हैं और न तनगी करते हैं उन का खर्च करना बीच का होता है   (ब्यान-उल-कुरान, खंड ३/२२)

 रमज़ान के महीने में, बाज़ारों में खरीदारों की भरमार होती है, एक आदमी इतना खाना-पीना खरीदता है जो दसियों परिवारों के लिए पर्याप्त होता है, वहीं बहुत सारे लोग ऐसे भी होते हैं जो भूखे मरते हैं, उन्हें रोटी का एक टुकड़ा भी नहीं मिलता है। वो खुली हवा में सोते हैं, पृथ्वी उनके लिए एक मंजिल है और आकाश एक रजाई

 रोजे का एक उद्देश्य यह है कि कम खाने के जरिए फासिद उत्पादों से पेट खाली हो जाए, लेकिन जो लोग खाने और पीने में अपव्यय करते हैं वे इस लक्ष्य को कैसे प्राप्त कर सकते हैं?
अनुवाद: और बे समय मत उडाना। बे शक बे मोका उड़ाने वाले शैतानों के भाई हैं, और शैतान अपने भगवान का बहुत ना शुकरा है  (ब्यान-उल-कुरान, २/३७०)

’’وَالَّذِیْنَ إِذَا أَنْفِقُوْا لَمْ یُسْرِفُوْا وَلَمْ یَقْتُرُوا وَکَانَ بَیْنَ ذٰلِکَ قَوَامًا‘‘۔(الفرقان: ۶۷)
 अनुवाद: और जब वे खर्च करना शुरू करते हैं, तो न तो वो फुजूल खरची करते हैं और न तनगी करते हैं उन का खर्च करना बीच का होता है   (ब्यान-उल-कुरान, खंड ३/२२)

 रमज़ान के महीने में, बाज़ारों में खरीदारों की भरमार होती है, एक आदमी इतना खाना-पीना खरीदता है जो दसियों परिवारों के लिए पर्याप्त होता है, वहीं बहुत सारे लोग ऐसे भी होते हैं जो भूखे मरते हैं, उन्हें रोटी का एक टुकड़ा भी नहीं मिलता है। वो खुली हवा में सोते हैं, पृथ्वी उनके लिए एक मंजिल है और आकाश एक रजाई

 रोजे का एक उद्देश्य यह है कि कम खाने के जरिए फासिद उत्पादों से पेट खाली हो जाए, लेकिन जो लोग खाने और पीने में अपव्यय करते हैं वे इस लक्ष्य को कैसे प्राप्त कर सकते हैं?
• कितने ही रोजह दार ऐसे होते हैं जो पूरा पूरा दिन सोते हुए गुजार देते हैं ये तो हैं जैसे रोजह रखा ही नहीं, कुछ लोग केवल प्रार्थना के लिए जागते हैं और फिर सो जाते हैं, उनका दिन लापरवाही मैं और रात यहाँ और वहाँ गुजर जाती है।

 रोजह की एक हिकमत यह भी है कि रोजह रखने वाला व्यक्ति अल्लाह की रजा पाने के लिए भूख और प्यास की लज्जत से दो चार हो, लेकिन जो लोग दिन भर सोते हैं वे उस रात से वंचित रह जाते हैं।

 • कुछ रोजह दार रमजान के महीने में विभिन्न प्रकार के खेल खेलते हैं जो कम से कम मकरूह हैं, हालांकि वे इन खेलों में संलग्न होकर अपने कीमती समय और बेकार मामलों में बर्बाद कर देते हैं। अल्लाह तआला कहता।
’’أَفَحَسِبْتُمْ أَنَّمَا خَلَقْنَاکُمْ عَبَثًا وَأَنَّکُمْ إِلَیْنَا لاَ تُرْجَعُوْنَ‘‘۔(المؤمنون: ۱۱۵)
 अनुवाद: क्या आपको लगता है कि हमने आपको बकवास के रूप में पैदा किया है और आपको हमारे पास नहीं लाया जाएगा?  (ब्यान-उल-कुरान, खंड २ /५४२)

 दूसरे स्थान पर फरमाया है:।

’’وَذرِ الَّذِیْنَ اتَّخَذُوْا دِیْنَہُمْ لَعِبًا وَلَہْوًا وَغَرَّتْہُمُ الْحَیَاۃُ الدُّنْیَا‘‘۔ (الأنعام: ۷۰)
 अनुवाद: और उन लोगों से दूर रहें जिन्होंने अपने धर्म को खेल और कूद बना रखा है सांसारिक जीवन ने उन्हें धोखा में डाल रखा है।  (ब्यान-उल-कुरान, खंड १/५५९)

 कुछ रोजे दार तो इस हद तक इन्तेहा कर देते हैं कि रात के समय को खेल कुद में खत्म कर देते हैं जबकि उन्हें इस पर  कोई सवाब नहीं मिलता कि रात के अंधेरे में दो रकअत की भी तोफीक नहीं होती।
बाज रोजे दार तो मामुली मामुली साबब और ना काबिले कुबूल अअजार की बिना पर नमाज बा जमाअत से पीछे रह जाते हैं हलांकि ये नेफाक की अलामत है और दिल के मुरदा होजाने की निशानी भी

 • कुछ लोग ऐसे हैं जिनका रमज़ान के महीने में भी पवित्र क़ुरआन से कोई ताल्लुक नहीं है, वो दूसरी किताबें पढ़ते हैं, लेकिन तेलावत की क्षमता नहीं रखते:।

 • कुछ लोग इस मुबारक महीने में बिलकुल सदका नहीं देते हैं, और न ही वे अन्य लोगों को इफ्तार कराते हैं, उनका दरवाजा बंद होता है और हाथ बखील होता है
अल्लाह तआला कहता है
''مَا عِنْدَکُمْ یَنْفَدُوْ ما عِنْدَ اللّٰہِ بَاقٍ'' ۔ (النحل: ۵۶)
 अनुवाद: और जो कुछ तुम्हारे पास है वह सब नष्ट हो जाएगा और अल्लाह के पास हमेशा के लिए रहेगा।  (ब्यान-उल-कुरान, खंड २/३४८)

’’وَمَا تُقَدِّمُوْا لِأَنْفُسِکُمْ مِنْ خَیْرٍ تَجِدُوْہُ عِنْدَ اللّٰہِ ہُوَ خَیْرًا وأعظم أجرًا‘‘۔ (المزمل: ۲۰)
 अनुवाद: और जो नेक अमल अपने लिए आगे भेज दोगे उसको अल्लाह के पास पहुंच कर उससे अच्छा और सवाब में बढहा पाओगे।
कुछ लोग तो इतनी सुस्ती बरतते हैं कि नमाज तरावीह ही छोड़ देते हैं हलांकि ज़ुबान हाल से ये कहते हैं कि फरज नमाज की अदाएगी काफी है, जबकि दुनिया के मामले में वे थोड़े पर सहमत नहीं होते हैं, बल्कि जरूरत से ज्यादा पाने पर जोर देते हैं।

 • कुछ लोग अपने परिवार के सदस्यों को रमजान के महीने के दौरान विभिन्न प्रकार के भोजन तैयार करने पर जोर देते हैं, उन को पवित्र कुरान से विचलित कर देते हैं और उन्हें अल्लाह और उनकी इबादत की से भी कर देते हैं हलांकि अगर जरूरियात पर इकतेफा कर लें तो इबादत के लिए बहुत समय मिल सकता है।
اللہم زدنا ولا تنقصنا، وأعطنا ولا نحرمنا، وأکرمنا ولا تہّنا وسامحنا واعف عنّا۔ آمین

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