प्यारे दोस्तों पिछले पाठ में हमने कलमा और इस्लाम की बुनियादी बातों को सीखा है अब हम ने आज की इस पोस्ट में रब्ब की क़ुदरत और नबी हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की रिसालत , ईमान और कुफ्र, करआन मजीद के उतरने की मुद्दत , इस जैसे बिनियदि सावल के जवाब लिखे हैं ताकि आप इस्लाम को सही से और अच्छे से जान लें और इसे सही से Represent (पेश ) कर सकें।
सवाल : तुम्हें किसने पैदा किया?
जवाब: हमें और हमारे माँ-बाप और आसमानों और जमीनों और तमाम मखलूक को अल्लाह ने पैदा किया है !
सवाल : अल्लाह तआला ने दुनिया को किस चीज से पैदा किया?
जवाब : अपनी कुदरत और अपने हुक्म से पैदा किया है!
सवाल : जो लोग अल्लाह को नहीं मानते उन्हें क्या कहते हैं?
जवाब : उन्हें काफिर कहते हैं!
सवाल : जो लोग खुदा तआला के सिवा और चीजों की पूजा करते हैं या दो-तीन खुदा मानते हैं उन्हें क्या कहते हैं?
जवाब: ऐसे लोगों को काफिर और मुशरिक कहते हैं।
सवाल : मुशरिक बखशे जाएंगे या नहीं?
जवाब : मुशरिकों को बखशा नहीं जायेगा। वह हमेशा तक्लीफ और अज़ाब (दुख) में रहेंगे।
सवाल : हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम कौन थे?
जवाब : हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम खुदाए तआला के बन्दे और उसके रसूल और पैगम्बर थे। हम उनकी उम्मत में हैं।
सवाल : हमारे पैगम्बर हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम कहाँ पैदा हुए थे?
जवाब : अरब के देश में मक्का मुअज्जमा एक शहर है उसमें पैदा हुए थे।
सवाल : आपके वालिद और दादा का क्या नाम था?
जवाब : आपके वालिद (पिताजी) का नाम अब्दुल्लाह और दादा का नाम अब्दुल मुत्तलिब था।
सवाल : हमारे पैग़म्बर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम और पैगम्बरों से दर्जे में बड़े हैं या छोटे?
जवाब : हमारे पैगम्बर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम दर्जे में और सब पैगम्बरों से बड़े हैं और अल्लाह की सारी मखलूक से ज्यादा बढ़े हुए हैं।
सवाल : हज़रत मुहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम उम्र भर कहाँ रहे?
जवाब : तिरेप्पन (53) साल की उम्र तक आप शहर मक्का मुअज्जमा में रहे इसके बाद खुदा तआला के हुक्म से मदीना मुनव्वरा चले गए और दस साल वहाँ रहे फिर तिरेसठ (63) साल की उम्म में वफ़ात पाई।
सवाल : अगर कोई हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को न माने वह कैसा है?
जवाब : जो आदमी हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को खुदा का रसूल न माने वह भी काफिर है।
सवाल : हज़रत मुहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को मानने का क्या मतलब है?
जवाब : हज़रत मुहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को मानने का मतलब यह है कि आपको खुदा का भेजा हुआ रसूल (पैगम्बर) माने और खुदा तआला के बाद सारी मखलूक सेआपको ऊँचा समझे और आप से मुहब्बत रखे और आपके हुक्मों पर चले।
सवाल : यह कैसे मालूम हुआ कि हज़रत मुहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम खुदाए ताअला के पैगम्बर हैं?
जवाब : उन्होंने ऐसे अच्छे काम किये और ऐसी ऐसी बातें सिखाई और बताई जो पैगम्बर के सिवा और कोई आदमी सिखा और बता नहीं सकता।
सवाल : यह कैसे मालूम हुआ कि कुरआन शरीफ खुदाए तआला की किताब है?
जवाब : हज़रत मुहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि यह करआन मजीद ख़ुदा तआला की किताब है खुदा ने मेरे ऊपर उतारी है।
सवाल : कुरआन मजीद हज़रत स० पर पूरा एक बार उतरा या थोड़ा थोड़ा?
जवाब : थोड़ा-थोड़ा उतरा। कभी एक आयत कभी दो चार आयतें कभी एक सूरत जैसी ज़रूरत होती गई उतरता गया।
सवाल : कितने दिनों में करआन मजीद उतरा?
जवाब : तेईस (23) साल में।
सवाल : करआन मजीद किस तरह उतरता था?
जवाब : हज़रत जिब्रईल अलैहिस्सलाम आकर आपको आयत या सूरत सुना देते थे। आप उसे सुनकर याद कर लेते थे और किसी लिखने वाले को बुलाकर लिखवा देते थे।
सवाल : आप खुद क्यों नहीं लिख लेते थे?
जवाब : इसलिए कि आप उम्मी थे।
सवाल : उम्मी किसे कहते हैं?
जवाब : जिसने किसी से लिखना-पढ़ना न सीखा हो उसे उम्मी कहते हैं। अगरचे हुज़र स० ने दुनिया में किसी से लिखना पढ़ना नहीं सीखा लेकिन अल्लाह ने आपको तमाम दुनिया से ज्यादा इल्म दिया था।
सवाल : हज़रत जिब्रईल अलैहिस्सलाम कौन हैं?
जवाब : फरश्तेि हैं। खुदाए तआला के हुक्म पैगम्बरों तक लाते थे।
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