इस्लाम का पहला पाठ। first lesson of Islam


इस्लाम का पहला पाठ। first lesson of Islam

इस्लाम  का पहला पाठ
आज के इस पाठ में हम आप को दीन व इस्लाम की बुनियादी बातें बतलायेंगे जिसे हर मुस्लमान का जानना बेहद ज़रूरी है। अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त ने हम सब को दींने इस्लाम की फितरत पर पैदा किया और मुस्लमान बनाया, नीज़ मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की उम्मत में पैदा किया, पर हम अगर गहराई से अपने गरीबान में झाँक कर देखें तो सच्च में हम अंदर से खोखले हैं यहाँ तक की हमें  इस्लाम की बुनियादी बातें भी मालूम नहीं हैं।  तो आइये आज से हम इस्लाम की बुनियादी बातों के बारे में जानते हैं  जो की हर मुस्लमान के लिए जानना बेहद ज़रूरी है और आज से यह सिलसिला जारी किया है और इंशा अल्लाह जारी रहेगा। 
بسم الله الرحمن الرحيم 
बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम
 अनुवाद : "शुरू अल्लाह के नाम से जो बड़ा मेहरबान और रहम वाला है;
نحمد الله العلي العظيم ونصلي على رسوله الكريم 
नहमदुल्लाहल अलीयल अज़ीम व नुसल्ली अला रसूलिहिल करीम।
अनुवाद :  हम तारीफ करते हैं उस अल्लाह की जो बहुत बड़े मरतबे वाला है और उसके रसूल करीम (स०) पर रहमत की दुआ करते हैं।
सवाल : तुम कौन हो (यानी मजहब के लिहाज़ से तुम्हारा क्या नाम है)?
जवाब : मुसलमान!
सवाल : मुसलमानों के मज़हब का नाम क्या है या तुम्हारे मज़हब का क्या नाम है?
जवाब : इस्लाम!
सवाल : इस्लाम क्या सिखाता है, या इस्लाम किस मजहब को कहते हैं?
जवाब : इस्लाम यह सिखाता है कि अल्लाह  एक है" इबादत के लायक वही है और हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम अल्लाह के बन्दे और रसूल हैं। और करआन शरीफ खुदा तआला की किताब है! इस्लाम सच्चा दीन है। दुनिया और आखिरत की तमाम भलाइयाँ और नेक बातें इस्लाम सिखाता है।
सवाल : इस्लाम का कलिमा क्या है?
जवाब : इस्लाम का कलिमा यह है:
لا إله الا الله محمد رسول الله
"लाइला-ह इल्लल्लाहु मुहम्मदुर रसूलुल्लाह।"
अनुवाद : "अल्लाह के सिवा कोई इबादत के लायक नहीं। मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम अल्लाह के रसूल हैं।" इस कलिमे को कलिमए तय्यिबा या कलिमए तौहीद कहते हैं।
सवाल : कलिमए शहादत क्या है?
जवाब : कलिमए शहादत यह है:
أشهد ان لا اله الا الله وأشهد أن محمدا عبده ورسوله
 "अशहदु अल्ला इला-ह इल्लल्लाहु व अशहदु अन-न मुहम्मदन अब्दुहू व रसूलुहू।"
अनुवाद : "गवाही देता हूं मैं कि अल्लाह तआला के सिवा कोई इबादत के लायक नहीं और गवाही देता हूं मैं कि मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम अल्लाह के बन्दे और उसके रसूल हैं।"
सवाल : ईमान मुज्मल क्या है?
जवाब : ईमान मुज्मल यह है:
امنت بالله كما هو بأسمائه وصفاته وقبلت جميع احكامه.

"आमन्तु बिल्लाहि कमा हु-व बिअस्माइही व सिफातिही व कबिल्तु जमी-अ अहकामिही।"
अनुवाद : "ईमान लाया में अल्लाह पर जैसा कि वह अपने नामों और खबियों के साथ है। और मैं ने उसके सारे हुक्मों को कबूल किया।"
सवाल : ईमान मुफस्सल क्या है? जवाब : ईमान मुफस्सल यह है:

امنت بالله وملائكته وكتبه ورسله واليوم الاخر والقدر خيره وشره من الله تعالى والبعث بعد الموت ؛
"आमन्तु बिल्लाहि व मलाइ-क तिही व कुतुबिही व रूसुलिही वल यौमिल आख़िरि वल्कुद्रि खैरिही व शर्रिही मिनल्लाहि तआला वल्बअसि बअ-दलमौत।
अनुवाद : "ईमान लाया मैं अल्लाह पर और उसके फ़रिश्तों पर और उसकी किताबों पर और उसके रसूलों पर और कियामत के दिन पर और इस पर कि अच्छी और बुरी तक़दीर खुदा तआला की तरफ से होती है और मौत के बाद उठाए जाने पर।"
इस पोस्ट को पढ़ने के बाद इसका rivison  ज़रूर करें और इसे याद करने की भी कोशिश करें और दोस्तों से शेयर करना न भूलें और  देखें आज की इस पोस्ट से कितना सीखा ?
और अभी क्या कुछ सीखने को रह गया है और कमेंट करके ज़रूर बातएं।
 जारी !

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