इस्लाम का तीसरा पाठ | Third lesson of Islam

प्यारे दोस्तों इस पोस्ट को ध्यान से पढ़िए आपको इस पोस्ट में बहुत सी दीनी और इस्लामी मालूम हासिल होंगी  और आप जान पाएंगे की इस्लाम किन बातों का दरस देता है |  और इस्लामी विचार धरा क्या है ? 
तो आइये जानते हैं दींन व इस्लाम की बुनियादी बातें | 

इस्लाम का तीसरा पाठ | Third lesson of Islam


सवाल : मुसलमान खदा तआला की इबादत कैसे करते हैं?
जवाब : (1) नमाज पढ़ते हैं (2) रोजा रखते हैं (3) माल की जकात देते हैं (4) हज करते हैं।

सवाल : नमाज़ किसे कहते हैं?
जवाब : नमाज खुदाए तआला की इबादत और बन्दगी करने का एक खास ढंग है जो खुदाए तआला ने कुरआन मजीद में और हज़रत रसूल मकबूल स० ने हदीसों में मुसलमानों को सिखाया है|

सवाल : इबादत का वह तरीका जिसे नमाज़ कहते हैं वह क्या है?
जवाब : घर में या मस्जिद में खुदाए तआला के सामने हाथ बांधकर खड़े होते हैं और करआन शरीफ पढ़ते हैं। अल्लाह तआला की तारीफें बयान करते हैं। उसकी बुजर्गी और ताज़ीम करते हैं। उसके सामने झुक जाते हैं और ज़मीन पर सिर रखकर उसकी बड़ाई और अपनी कमज़ोरी और जिल्लत जाहिर करते हैं।

सवाल : मस्जिद में नमाज़ पढ़ने से आदमी खुदा के सामने होता है या घर में?
जवाब : खुदाए तआला हर जगह सामने होता है चाहे मस्जिद में नमाज़ पढ़ो चाहे घर में। लेकिन मस्जिद में नमाज़ पढ़ने से ज्यादा सवाब मिलता है।

सवाल : नमाज़ पढ़ने से पहले हाथ-पाँव धोते हैं उसे क्या कहते हैं?
जवाब : उसे वुजू कहते हैं। बगैर वुजू के नमाज़ नहीं होती।

सवाल : नमाज़ में किस तरफ मुँह करके खड़ा होना चाहिए?
जवाबः  पश्चिम की तरफ जिस तरफ शाम को सूरज जाकर छिप जाता है।

सवाल : पश्चिम की तरफ मुँह करने का क्यों हुक्म दिया गया है?
जवाब : मक्का मुअज्जमा में खुदा तआला का एक घर है। जिसे काबा कहते हैं। उसकी तरफ नमाज़ में मुँह करना ज़रूरी है। और वह हमारे शहरों से पश्चिम की तरफ है। इसलिए पश्चिम की तरफ मुँह करके नमाज़ पढ़ते हैं।

सवाल : जिस तरफ़ मुँह करके नमाज़ पढ़ते हैं उसे क्या कहते हैं?
जवाब : उसे किब्ला कहते हैं।

सवाल : दिन-रात में नमाज़ कितनी बार पढ़ी जाती है?
जवाब : रात-दिन में पाँच नमानें फ़र्ज़ हैं।
 सवाल : पाँचों नमाज़ों के नाम क्या हैं?
जवाब : पहली नमाज़ 'फज्र' जो सुबह के समय सूरज निकलने से पहले पढ़ी जाती है। दूसरी नमाज़ 'जुहर' जो दोपहर को सूरज ढलने के बाद पढ़ी जाती है। तीसरी नमाज़ 'अस्र' जो सूरज छिपने से दो-डेढ़ घंटा पहले पढ़ी जाती है। चौथी नमाज़ 'मगरिब' जो शाम को सूरज छिपने के बाद पढ़ी जाती है। पाँचवीं नमाज़ 'इशा' जो डेढ़-दो घंटे रात आने पर पढ़ी जाती है।

सवाल : अज़ान किसे कहते हैं?
जवाब : जब नमाज़ का समय आ जाता है तो नमाज़ से कुछ देर पहले एक आदमी खड़े होकर ज़ोर-ज़ोर से यह शब्द कहता है:

اللَّهُ أَکْبَرُ اللَّهُ أَکْبَرُ   :   اللَّهُ أَکْبَرُ اللَّهُ أَکْبَرُ
أَشْهَدُ أَنْ لَا إِلَهَ إِلَّا اللَّهُ  :  أَشْهَدُ أَنْ لَا إِلَهَ إِلَّا اللَّهُ
أَشْهَدُ أَنَّ مُحَمَّدًا رَسُولُ اللَّهِ   :   أَشْهَدُ أَنَّ مُحَمَّدًا رَسُولُ اللَّهِ
حَيَّ عَلَی الصَّلَاةِ   :   حَيَّ عَلَی الصَّلَاةِ
حَيَّ عَلَی الْفَلَاحِ   :   حَيَّ عَلَی الْفَلَاحِ
اللَّهُ أَکْبَرُ اللَّهُ أَکْبَرُ    :         لَا إِلَهَ إِلَّا اللَّهُ

"अल्लाहु अक्बर" (अल्लाह सबसे बड़ा है) चार बार।
_अश-हदु अल्ला इला-ह इल्लल्लाह (गवाही देता हूँ मैं कि अल्लाह के सिवा कोई इबादत के लायक नहीं) दो बार अश-हदु अन-न मुहम्मदर रसूलुल्लाह (गवाही देता हूँ मैं कि मुहम्मद स० अल्लाह के रसूल हैं) दो बार हय्य अलस्सलाह (आओ नमाज़ के लिए) दो बार हय्य अलल फलाह (आओ कामयाबी की तरफ) दो बार।।
'अल्लाहु अक्बर' (अल्लाह सबसे बड़ा है।) दो बार। 'लाइला-ह इल्लल्लाह' (अल्लाह के सिवाकोई इबादत के लायक नहीं) एक बार।

 इन शब्दों को अज़ान कहते हैं। सुबह की अज़ान में 'हय्य अलल फलाह' के बाद 'अस्सलातु खैरूम मिनन्नौम' (नमाज़ नींद से अच्छी है) भी दो बार कहना चाहिए।

सवाल : तक्बीर किसे कहते हैं?
जवाब : जब नमाज़ के लिए खड़े होने लगते हैं तो नमाज़ शुरू करने से पहले एक आदमी वही शब्द कहता है जो अज़ान में कहे जाते हैं। इसे इकामत और तक्बीर कहते हैं। तक्बीर में हय्य अलल फलाह के बाद कद-कामतिस्सलाह दो बार अज़ान के कलिमों से ज़्यादा कहे जाते हैं।

सवाल : जो आदमी अज़ान या तक्बीर कहता है उसे क्या कहते हैं?
जवाब : जो आदमी अजान कहता है उसे मुअज्जिन कहते हैं। और जो तक्बीर कहता है उसे मुकब्बिर कहते हैं।

सवाल : बहुत से लोग मिलकर जो नमाज़ पढ़ते हैं उस नमाज को और नमाज  पढ़ाने वाले को और नमाज़ पढ़ने वालों को क्या कहते हैं?
जवाब : बहुत से लोग जो मिलकर नमाज पढ़ते हैं उसे जमाअत की नमाज़ कहते हैं और नमाज़ पढ़ाने वाले को 'इमाम' और उसके पीछे नमाज़ पढ़ने वालों को मुक्तदी कहते हैं।

सवाल : अकेले नमाज़ पढ़ने वाले  को क्या कहते हैं?
जवाब : अकेले नमाज़ पढ़ने वाले  को मुनफरिद कहते हैं।

सवाल : जो घर ख़ास नमाज़ पढ़ने के लिए बनाया जाता है और उसमें जमाअत से नमाज़ होती है उसे क्या कहते हैं?
जवाब : उसे मस्जिद कहते हैं।

सवाल : मस्जिद में जाकर क्या करना चाहिए?
जवाब : मस्जिद में नमाज़ पढ़े, करआन शरीफ पढ़े, या और कोई वज़ीफा पढ़े, या अदब से चुपका बैठा रहे। मस्जिद में खेलना, कूदना, शोर मचाना और दुनिया की बातें करना बुरी बात है।

उम्मीद करते हैं इस पोस्ट में आपको काफी जानकारी मिली होगी तो इस पोस्ट को  सवाब और  दींन की गरज़ से शेयर करिये और इस्लाम को फैलाने का हिस्सा दार बनिए | 

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