करने के कुछ काम | Some work to do |

करने के कुछ काम | Some work to do |


हबीबुर्रहमान सुलतानपुरी

मरीज़ों की तादाद में आए दिनबढोत्तरी होती जा रही है जिसके कारण लॉक डाउन की मुद्दत में इजाफे की पासिब्लिटी भी बढ़ती जा रही है , ऐसे में हर तालीमी कार्यालय , स्कूल, कालेजज़ ऑनलाइन पढ़ाई की बात कर रहे हैं, मगर ये मदारिस और अहले मदारिस के लिए बहुत बड़ी चुनौती होगी कि वो तमाम विद्यार्थियों को ऑनलाइन क्लासेज़ प्रदान कर सकें, आम तौर पर तलबा ए मदारिस की एक बड़ी तादाद ऐसे घराने से सम्बंधित होती है जो किसी ना किसी दर्जे में आर्थिक कमज़ोरीयों से जूझ रहे होते हैं, ऐसे में अगर लॉक डाउन जैसी महामारी में उन्हें अपने बच्चों के लिए मोबाइल की व्यवस्था कराने की नौबत आजाए तो ये उनके लिए एक और बड़ी चुनौती होगी .लेकिन इन सब के बावजूद  विद्यार्थियों को जेहालत से दूर रखना, उन्हें  शिक्षा के जेवर से सजाना हमारा क़ौमी-ओ  मिल्ली कर्तव्य है।

अब तक के जो दिन व्यतीत हो गए वो मदरसो में छुट्टीयों
के दिन थे, ग्यारह बारह शव्वाल के बाद जो दिन गुज़र रहे हैं वो तालीमी अय्याम के हैं, यक़ीनन असीमित मुद्दत तक मदारिस का बंद रहना तलबा के लिए ख़सारे का कारण होगा, जिसकी भरपाई वर्षों में ना-मुम्किन सी मालूम होती है, इसलिए उल्मा हज़रात और क़ौम के ज़िम्मेदारों को चाहिए कि वो कोई ऐसा रास्ता निकालें जिससे क़ौम के नौनिहालों को अशिक्षित जैसे कोढ़ पन से बचाया जा सके.और उन्हें तालीमी कार्यवाही में लगा करके उनके भविष्य को चार चांद लगाया जा सके।
इस सिलसिले में सबसे कम दर्जा ये होगा कि ऐसे गांव और क़स्बात जहां पढ़े लिखों की संख्या ज्यादा हो , उलमा और शिक्षकों की अच्छी ख़ासी तादाद मौजूद हो, उन्हें चाहिए कि सुबह शाम अपने पास पड़ोस के बच्चों को किसी घर या हाल में इकट्ठा कर के उन से संबंधित विषयों को पढ़ाया जाये और उन्हें तमाम-तर दरसी कामों  पर कारबन्द रहने का जिम्मे दार ठहराया जाये.हिफ़्ज़ के तलबा का कम से कम पढ़ा हुआ सुना जाये,और इसी के अनुसार उन्हें तरक़्क़ी दी जाये, फ़ारसी और अरबी के पढने वालों को ऐसे काम बतलाए जाएं जो उनकी सलाहीयत को प्रवान चढ़ाने में सहायक साबित हो सके, स्कूल और कालेजज़ के तलबा को इंग्लिश भाषा की बोल-चाल और इस के बुनियादी ग्रामर को दोहरवाया जाए , गणित और साईंस के बेसिक पर ध्यान दिलाई जाये
इन तमाम कामों से तलबा की एक बड़ी तादाद को दानिश्वर (ज्ञानी) ना सही मगर सोचने समझने वाला ज़रूर बनाया जा सकता है उन्हें इस हद तक लाया जा सकता है कि वो अपने नफ़ा-ओ-ज़रर, खरे और खोटे को पहचान कर अपना एक टार्गेट मुतय्यन करने में किसी के मुहताज ना होंगे, और उनका ये ख़ाली वक़्त उनके चमचमाते भविष्य की ज़मानत का कारण बन सकेगा

Ise Zaroor Padhiye: Aur Zindagi Men Apne Bacchon Ko Yeh Naseehat Zaroor Kijiye 
↡↟
https://www.hindidastak.com/2020/06/Qari-Tayyab-sahab-advised-by-his-father.html

अपना कमेन्ट लिखें

Plz let me know about your emotion after reading this blog

और नया पुराने