अस्सलामु अलैकुम ! उम्मीद करते हैं आप भी अच्छे होंगे |
दोस्तों ! आज की येह पोस्ट बड़ी अहम् है , इसमें नमाज़ के बारे में विस्तार से बताएँगे, की नमाज़ पढ़ने से क्या फायदा होता है। ? नमाज़ में जो कुछ पढ़ा जाता है उसके नाम और इबारतें क्या-क्या हैं? और भी बहुत कुछ तो दोस्तों यह पोस्ट भी पिछले पाठ का हिस्सा है और इसे भी सवाल जवाब की शकल में पेश किया है, इस पोस्ट को बहुत ध्यान से पढ़िए और जैसा इसमें सवाल जवाब की सूरत में बताया गया है हम सभी अपनी अपनी नमाज़ें सही कर लें कियुँकि अगर हम नमाज़ पढ़ते रहे और हमारी नमाज़ ही दुरुस्त नहीं हुई तो बड़े नुकसान की बात होगी |
सवाल : नमाज़ पढ़ने से क्या फायदा होता है। ?
जवाब : नमाज पढ़ने से बहुत से फायदे हैं। थोड़े से फायदे हम तुमको बताते हैं।
1. नमाज़ी आदमी का बदन और कपड़े पाक और साफ सुथरे होते हैं।
2. नमाज़ी आदमी से खुदा राजी और खुश
होता है।
3. हज़रत मुहम्मद मुस्तफा स० नमाज़ी से राजी और खुश होते हैं।
4. नमाजी आदमी खुदा तआला के नजदीक नेक होता है।
5. नमाजी आदमी की अच्छे लोग दुनिया में भी इज्जत करते हैं।
6. नमाजी आदमी बहुत से गुनाहों से बच जाता है।
7. नमाजी आदमी को मरने के बाद खुदा तआला आराम और सुख से रखता है।
सवाल : नमाज़ में जो कुछ पढ़ा जाता है उसके नाम और इबारतें क्या-क्या हैं?
जवाब : नमाज़ में जो कुछ पढ़ा जाता है
उन सबके नाम और शब्द यह हैं:
तक्बीर:- اللّٰهُ أَكْبَر
अल्लाहु अक्बर (अल्लाह सबसे बड़ा है)
सना:
سُبْحَانَکَ اللّٰھمَّ وَبِحَمْدِکَ وَتَبَارَکَ اسْمُکَ وَتَعَالٰی جَدُّکَ وَلَا اِلٰہَ غَیْرُکَ۔
सुबहा-न कल्ला हुम-म व बिहमदि-क व तबा-र-कस्मु-क व तआला जदु-क व ला इला-ह गैरू-क।
ऐ अल्लाह हम तेरी पाकी का इकरार करते हैं। और तेरी तारीफ़ बयान करते हैं। और तेरा नाम बहुत बरकत वाला है। और तेरी बुजुरगी बरतर है। और तेरे सिवा कोई इबादत के लायक नहीं।
तअव्वुजः-
اَعْوْذُ بِاللہِ مِنَ الشَّیْطٰنِ الرَّجِیْمِ
"अऊज़ बिल्लाहि मिनश-शै-ता निर-रजीम"
" मैं अल्लाह की पनाह लेता हूं शैतान मरदूद से।"
तस्मिया:-
بِسْمِ اللّٰہِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِیْمِ
बिसमिल्ला हिर-रहमानिर-रहीम
"शुरू अल्लाह के नाम से जो बड़ा मेहरबान और रहम वाला है।"
सूरह फ़ातिहा:
الْحَمْدُ لِلّٰہِ رَبِّ الْعَالَمیْنَ، الرَّحْمٰنِ الرَّحیْمِ، مَالِکِ یَوْمِ الدِّیْنِ، اِیَّاکَ نَعبْدُ وَایَّاکَ نَسْتَعِیْنُ، اِھْدِنَا الصِّرَاطَ الْمُسْتَقِیِمَ، صِرَاطَ الَّذِیْنَ اَنْعَمْتَ عَلَیْھِم، غَیْرِ الْمَغْضُوْبِ عَلَیْھِمْ وَلا الضَّالِّیْنَ
"अलहम्दु लिल्लाहि रब्बिल आलमीन। अर्रहमानिर रहीम। मालिकि यौमिद्दीन। इय्या-क नाबुदु व इय्या-क नस्तईन। इहदि नस-सिरातल मुस्तकीम सिरातल लजी-न अन-अम-त अलैहिम गैरिल मगज़ूबि अलैहिम वलज़-जालीन।"
"सब तारीफें अल्लाह के लिए हैं जो सारे जहानों का पालने वाला है। बड़ा मेहरबान और रहम वाला है। उस दिन का मालिक है जिस दिन बदला दिया जायेगा (ऐ अल्लाह) हम तेरी ही बन्दगी करते हैं और तुझ ही से मदद, चाहते हैं। हमें सीधा रास्ता दिखा, उन लोगों का रास्ता जिन पर तूने इनाम फरमाया है न कि उनका (रास्ता) जिन पर तेरा गज़ब हुआ और न उनका जो भटक गये।"
सूरह कौसर:
إِنَّا أَعْطَيْنَاكَ الْكَوْثَرَ ، فَصَلِّ لِرَبِّكَ وَانْحَرْ ، إِنَّ شَانِئَكَ هُوَ الْأَبْتَرُ
"इन्ना आ तैना कल कौसर। फसल्लि लि-रब्बि-क वन-हर। इनना शानि-अ-क हुवल अब्तर।"
(ऐ नबी स०) हमने तुमको कौसर दी है बस तुम अपने अल्लाह के लिए नमाज़ पढ़ो और कुर्बानी करो बेशक तुम्हारा दुश्मन ही मिट जाने वाला है।
सूरह इख्लास:
قُلْ ھُوَ اللّٰہُ اَحَد، اللّٰہُ الصَّمَدُ، لَمْ یَلِدْ وَلَمْ یُولَد، وَلَمْ یکُن لَّہٗ کُفُوًا اَحَدُ
"कुल हुवल्लाहु अहद अल्लाहुस्समद लम-यलिद वलम यूलद वलम यकुल्लहू कुफवन अहद।"
"(ए नबी स०) कह दो कि अल्लाह एक है अल्लाह बेनियाज़ है। उससे कोई पैदा नहीं हुआ और न वह किसी से पैदा हुआ और कोई उसके बराबर नहीं"।
सुरह फलक:
قُلْ اَعُوْذُ بِرَبِّ الْفَلَقِ ، مِنْ شَرِّ مَا خَلَقَ ، وَمِنْ شَرِّ غَاسِقٍ اِذَا وَقَبَ ، وَمِنْ شَرِّ النَّفَّاثَاتِ فِى الْعُقَدِ وَمِنْ شَرِّ حَاسِدٍ اِذَا حَسَدَ
"कुल अऊजु बि-रब्बिल फलक। मिन शर्रिमा खलक व मिन शर्रि गासिकिन इज़ा वकब व मिन शनि-नफ्फासाति फिल उकदि व मिन शर्रि हासिदिन इजा हसद।"
(ऐ नबी स० दुआ में) कहो कि मैं सुबह के रब की पनाह लेता हूँ। सारी दुनिया की बुराई से
और अंधेरे की बुराई से जब अंधेरा फैल जाए और गाँठों पर दम करने वालियों की बुराई से और हसद करने वाले की बुराई से जब वह हसद करे।"
सूरह नास:
قُلْ أَعُوذُ بِرَبِّ النَّاسِ ، مَلِكِ النَّاسِ ، إِلَٰهِ النَّاسِ ،مِن شَرِّ الْوَسْوَاسِ الْخَنَّاسِ ، الَّذِي يُوَسْوِسُ فِي صُدُورِ النَّاسِ ، مِنَ الْجِنَّةِ وَالنَّاسِ
"कुल अऊजु बि-रब्बिन्नास मलिकिन्नास इला हिन्नास मिन शर्रिल वसवासिल खन्नासिल अल-लजी यु वस्विसु फी सुदूरिन्नासि मिनल जिन्नति वन्नास"
__ "(ऐ नबी दुआ में) कहो कि मैं इन्सानों के माबूद की पनाह लेता हूँ उस वस्वसा डालने वाले, पीछे हट जाने वाले की बुराई से जो लोगों के दिलों में वस्वसा डालता है जिन्नों में से हो या इन्सानों में से।"
रूकू यानी झुकने की हालत की तस्बीहः
"सुब्हा-न रब्बियल अज़ीम :
سُبْحَانَ رَبِّیَ الْعَظِیْمِ
(पाकी बयान करता हूँ अपने पालनहार बुज़ुर्ग की)"
कौमा यानी रूकू से उठने की तस्मीअः "समि-अल्लाहु-लिमन हमिदह"
سَمِعَ اللّٰہُ لِمَنْ حَمِدَہْ
(अल्लाह ने उसकी सुन ली जिसने उसकी तारीफ की।"
इसी कौमा की तहमीदः "रब्बना लकल हम्द"
رَبَّنَا لَکَ الْحَمْدُ
(ऐ हमारे पालनहार तेरे ही लिए तमाम तारीफें हैं)"
सजदा यानी जमीन पर सिर रखने की हालत की तस्बीहः-
سُبْحَانَ رَبِّیَ الاَعْلٰی
__ "सुब्हा-न रब्बियल आला (पाकी बयान करता हूँ अपने पालनहार की जो सबसे बड़ा है।)"
तशहहुद या अत्तहिय्यात:
التَّحِیَّاتُ لِلّٰہِ وَالصَّلَوٰ تُ وَالطَّیِبَاتُ، اَلسَّلَامُ عَلَیْکَ اَیُّہَاالنَّبِیُّ وَرَحْمَۃُ اللّٰہِ وَبَرَکَاتُہْ، اَلسَّلَامُ عَلَیْناوَعَلٰی عِبَادِ اللّٰہِ الصّٰلِحِیْنَ، اَشھَدُ اَنْ لَّا اِلٰہَ اِلَّا اللّٰہُ وَاشھَدُ اَنَّ مُحَمَّدًا عَبْدُہُ وَرَسُوْلُہْ۔
"अत्तहिय्यातु लिल्लाहि वस्स-ल-वातु वत्तय्यिबातु अस्सलामु अलै-क अय्युहन्नबिय्यु व रहमतुल्लाहि व ब-रकातुहू अस्सलामु अलैना व अला इबादिल्ला हिससालिहीन। अशहदु अल्ला इला-ह इल्लल्लाहु व अशहदु अन-न मुहम्मदन अब्दुहू व रसूलुहू।"
_“तमाम ज़बानी और फेली (कर्म वाली) इबादतें और तमाम माली इबादतें अल्लाह ही के लिए हैं। सलाम तुम पर ऐ नबी स० और अल्लाह की रहमत और उसकी बरकतें। सलाम हो हम पर और अल्लाह के नेक बन्दों पर। गवाही देता हूँ मैं कि अल्लाह के सिवा कोई इबादत के लायक नहीं और गवाही देता हूँ मैं कि मुहम्मद स० अल्लाह के बन्दे और उसके रसूल हैं।"
दरूद शरीफः
اَللھُمَّ صَلِّ عَلٰی مُحَمَّدٍ وَّعَلٰی آلِ مُحَمَّدٍکَمَا صَلَّیْتَ عَلٰی اِبْرَاھِیْمَ وَعَلٰی آلِ اِبْرَاھیْمَ اِنَّکَ حَمِیْدٌ مَّجیْدٌ۔
اَللّٰھُمَّ بَارِکْ عَلٰی مُحَمَّدٍ وَّعَلٰی آلِ مُحَمَّدٍ کَمَا بَارَکْتَ عَلٰی اِبْرَاھِیْمَ وَعَلٰی آلِ اِبْرَاھِیْمَ اِنَّکَ حَمِیدٌ مَّجیدٌ۔
- "अल्ला हुम-म सल्लि अला मुहम्मदिव व अला आलि मुहम्मदिन कमा सल्लै-त अला इब्राही-म व अला आलि इब्राही-म इन-न-क हमीदुम्मजीद अल्ला हुम-म बारिक अला मुहम्मदिव व अला आलि मुहम्मदिन कमा बारक-त अला इब्राही-म-व अला आलि इब्राही-म-इन-न-क हमीदुम्मजीद।"
"ऐ अल्लाह रहमत नाजिल फरमा मुहम्मद स० पर और उनकी औलाद पर जैसे कि तूने रहमत नाज़िल फरमाई इब्राहीम अलैहिस्सलाम पर और | उनकी औलाद पर। बेशक तू तारीफ़ के लायक | बड़ी बुजुर्गी वाला है।"
(ऐ अल्लाह बरकत नाज़िल फ़रमा मुहम्मद | स० पर और उनकी औलाद पर जैसे कि तूने बरकत नाज़िल फरमाई इब्राहीम अलैहिस्सलाम पर और उनकी औलाद पर। बेशक तू तारीफ के लायक बड़ी बुजर्गी वाला है।"
दरूद शरीफ के बाद की दुआ:
اللَّهمَّ إِنِّي ظَلَمْتُ نَفْسِي ظُلْمًا كثِيرًا، وَلا يَغْفِر الذُّنوبَ إِلاَّ أَنْتَ، فَاغْفِر لي مغْفِرَةً مِن عِنْدِكَ، وَارحَمْني، إِنَّكَ أَنْتَ الْغَفور الرَّحِيم ۔
"अल्लाह हुम-म इन्नी जलम्तु नफ़्सी जुलमन कसीरंव वला यरिफरूजनू-ब इल्ला अन-त फग़फिी मग-फिरतम मिन इनदि-क-वर हमनी इन-न-क अन्तल ग़फ़र्रहीम।"
| (ऐ अल्लाह मैंने अपने ऊपर बहुत जल्म किये हैं और तेरे सिवा और कोई गुनाहों को मआफ नहीं कर सकता इसलिए तू अपनी तरफ से ख़ास बख्रिाश से. मुझ को मआफ कर दे और मुझ पर रहम फरमा दे। बेशक तूही मआफ़ कर देने वाला, निहायत रहम वाला है।"
सलामः
السلام علیکم ورحمۃاللہ
" अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाह" (सलाम हो तुम पर और अल्लाह की रहमत)
नमाज़ के बाद की दुआ:
اَللّٰھُمَّ أَنْتَ السَّلاَمُ وَمِنْکَ السَّلاَمُ تَبَارَکْتَ یَا ذَالْجَلاَلِ وَالْاِکْرَامِ
"अल्ला हम-म अन्तस्सलामु व मिनकस्सलामु तबारक-त या जल-जलजलालि वल इकराम।"
"ऐ अल्लाह तूही सलामती ' देने वाला है और तेरी ही तरफ से सलामती मिल सकती है बहुत बरकत वाला है तू ऐ अजमत (बड़ाइ) और बुजुर्गी वाले।"
दुआए कुनूत:
اَللّٰھُمَّ اِنَّا نَسْتَعِیْنُکَ وَ نَسْتَغْفِرُکَ وَ نُؤْمِنُ بِکَ وَ نَتَوَکَّلُ عَلَیْکَ وَنُثْنِیْ عَلَیْکَ الْخَیْرَ وَ نَشْکُرُکَ وَ لَا نَکْفُرُکَ وَ نَخْلَعُ وَ نَتْرُکُ مَنْ یَّفْجُرُکَ۔ اَللّٰھُمَّ اِیَّاکَ نَعْبُدُ وَ لَکَ نُصَلِّیْ وَ نَسْجُدُ وَ اِلَیْکَ نَسْعیٰ وَ نَحْفِدُ وَ نَرْجُوْ رَحْمَتَکَ وَ نَخْشیٰ عَذَابَکَ اِنَّ عَذَابَکَ بِالْکُفَّارِ مُلْحِق۔
“अल्ला हुम-म इन्ना नस्तईनु क व नस्तग़फिरू-क वनू मिनु बि-क व न-तवक्कलु अलै-क व नुस्नी अलैकल खैरि व नशकुरू-क वला नकफरू-क व नखलऊ व नतरूकू मैंय्यफ़्जुरू-क अल्ला हुम-म इय्या-क नाबुदू वल-क नुसल्ली व-नसजुदू व इलै-क नस्आ व नहफिदु व नर्जू रह-म-त-क व नख्शा अज़ा-ब-क इन-न अज़ा-ब-क बिल कुफ्फारि मुलहिका"

I HOPE AAPKO IS POST SE BAHUT KUCH SEEKHNE KO MILA HOGA TO HAMARE IS BLOG SE BANE RAHIYE AUR ISKI UPDATE KE LIYE HAMARE FACEBOOK PAGE HINDIDASTAK KO BHI FOLLOW KIJIYE, JALD HI AAPKI KHIDMAT MEN ISKA AGLA PAATH LEKAR HAZIR HONGE TAB TAK KE LIYE IJAZAT CHAHTE HAIN.
ASSALAMU ALAIKUM
HAMIDAKHTAR
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