गुस्ल, मोज़ह, जबीरह, नजासत, इस्तिंजा, Ka Bayaan |


गुस्ल, मोज़ह, जबीरह, नजासत, इस्तिंजा, Ka Bayaan |
गुस्ल, मोज़ह, जबीरह, नजासत, इस्तिंजा, Ka Bayaan |


गुस्ल का बयान

सवाल : बड़ी नजासत हुकमिया यानी हदसे अक्बर और जनाबत से बदन पाक करने का क्या तरीका है? 
जवाब : हदसे अक्बर या जनाबत से बदन गस्ल करने से पाक हो जाता है।
सवाल : गुस्ल किसे कहते हैं?
जवाब : गुस्ल के माने हैं नहाना। मगर नहाने का शरीअत में एक खास तरीका है।
सवाल : गुस्ल का तरीका क्या है?
जवाब : गुस्ल का तरीका यह है कि पहले दोनों हाथ गट्टों तक धोये फिर इस्तिंजा करे और बदन से हकीकी नजासत धो डाले, फिर वुज़ करे, फिर सारे बदन को थोड़ा पानी डालकर हाथ से मले, फिर सारे बदन पर तीन बार पानी बहाये, कुल्ली करे, नाक में पानी डाले।
सवाल : गुस्ल में फ़र्ज़ कितने हैं?
जवाब : गुस्ल में तीन फ़र्ज़ हैं:- (1) कुल्ली करना (2) नाक में पानी डालना (3) सारे बदन पर पानी बहाना।
सवाल : गुस्ल में सुन्नतें कितनी हैं? 
जवाब : गुस्ल में पाँच सुन्नतें हैं- (1) दोनों हाथ गट्टों तक धोना (2) इस्तिंजा करना और जिस जगह बदन पर नापाकी लगी हो उसे धोना (3) नापाकी दूर करने की नीयत करना (4) पहले वुज़ कर लेना (5) सारे बदन पर तीन बार पानी बहाना।

मोज़ों पर मसह करने का बयान


सवाल : किस तरह के मोजों पर मसह करना जाइज़ है?
जवाब : तीन तरह के मोज़ों पर मसह जाइज़ है- (1) चमड़े के मोज़े जिनसे पाँव गट्टों तक छुपे रहें (2) वे ऊनी-सूती मोज़े जिनमें चमड़े का तला लगा हुआ हो। (3) वे ऊनी-सूती मोजे जो इतने गाढ़े और मोटे हों कि खाली मोजे पहनकर तीन-चार मील रास्ता चलने से न फटें।

सवाल : मोजों पर कब मसह जाइज़ है ? 
जवाब : जब वुज़ करके या पांव धोकर मोजे पहने हों फिर वुज़ टूटने की हालत में मोज़े पहने हुए हों।
सवाल : एक बार के पहने हुए मोज़ों पर कितने दिनों तक मसह जाइज़ है?
जवाब : अगर आदमी अपने घर या रहने की जगह हो तो एक दिन और एक रात मोजों पर मसह करे और सफर में हो तो तीन दिन तीन रात तक मसह जाइज़ है।
सवाल : मोजों पर किस तरह मसह करे ?
जवाब : ऊपर की तरफ करना चाहिए। तलवों की तरफ या एडी की तरफ करने से मसह नहीं होता।
सवाल : वुज़ और गुस्ल दोनों में मोज़ों पर मसह जाइज़ है या नहीं?
जवाब : वुज़ में मोजों का मसंह जाइज़ है गुस्ल में नहीं।
सवाल : मसह किस तरह करे?
जवाब : हाथ की उंगलियाँ पानी से भिगोकर तीन उंगलियाँ पांव के पंजे पर रखकर ऊपर की तरफ खींचे। उंगलियाँ पूरी रखे। सिर्फ उनके सिरे रखना काफी नहीं।
सवाल : फटे हुए मोज़े पर मसह जाइज़ है या नहीं?
जवाब : अगर मोज़ा इतना फट गया कि पांव की तीन छोटी उंगलियों के बराबर पांव खुल गया या चलने में खुल जाता है तो उस पर मसह जाइज़ नहीं और उससे कम फटा हो तो जाइज़ है।

जबीरह पर मसह का बयान 

सवाल : जबीरह किसे कहते हैं ?
जवाब : जबीरह वह लकड़ी है जो टूटी हड्डी ठीक करने के लिए बाँधी जाती है। मगर - यहाँ जबीरह से मतलब उस लकड़ी या जख़्म की पट्टी या मरहम के फाये से है।
सवाल : इस लकड़ी या पट्टी या फाया पर मसह करने का क्या हुक्म है ?
जवाब : अगर इस लकड़ी या पट्टी का खोलना और फाये का उखाड़ना नुकसान पहुंचाये या ज्यादा तकलीफ होती हो तो इस लकड़ी और पट्टी और फाये पर मसह कर लेना जाइज़ है।
सवाल : कितनी पट्टी पर मसह करे ?
जवाब : सारी पट्टी पर मसह करना चाहिए। चाहे उसके नीचे जख्म हो या न हो।
सवाल : अगर पट्टी खोलने से नुक्सान और तकलीफ न हो तो क्या हुक्म है?
जवाब : अगर जख्म को पानी से धोना नुक्सान न पहुंचाए तो धोना ज़रूरी है। और पानी से धोना नुक्सान पहुंचाए लेकिन मसह से नुक्सान न हो तो ज़ख्म पर मसह करना वाजिब है। और जब जख्म पर मसह करना भी नुकसान पहुंचाए उस वक्त पट्टी या फाया पर मसह करना जाइज़ है।

नजासत हकीकिया का बयान 

सवाल : नजासत हकीकिया की कितनी किस्में हैं ?
जवाब : नजासत हकीकिया की दो किस्में हैं। एक नजासत गलीज़ा दूसरी नजासत ख़फीफा।
सवाल : नजासत गलीज़ा और नजासत खफीफा किसे कहते हैं ?
जवाब : जो नापाकी कि सख्त हो उसे नजासत गलीज़ा कहते हैं और जो नजासत कि हल्की हो उसे नजासत खफीफा कहते हैं।
सवाल : कितनी चीजें नजासत गलीज़ा हैं ?
जवाब : आदमी का पेशाब-पाखाना और जानवरों का पाखाना और हराम जानवरों का पेशाब। और आदमी और जानवरों का बहता हुआ खून और शराब और मुर्गी और बतख की बीट नजासत गलीज़ा है।

सवाल : नजासत ख़फीफा क्या-क्या चीजें हैं ?
जवाब : हलाल जानवरों का पेशाब और हराम परिन्दों की बीट नजासत खफीफा है।
सवाल : नजासत गलीज़ा कितनी मुआफ है ?
जवाब : नजासत गलीज़ा अगर गाढ़े बदन वाली है जैसे पाखाना तो वह साढ़े तीन माशा वज़न तक मुआफ है अगर पतली हो जैसे शराब, पेशाब तो वह एक अंग्रेज़ी (चाँदी के) रूपये के फैलाव के बराबर मुआफ है। मुआफ होने का मतलब यह है कि अगर इतनी नापाकी बदन या कपड़े पर लगी हो और नमाज़ पढ़ ले तो नमाज़ हो जाएगी मगर मकरूह होगी जान-बूझकर इतनी नजासत भी लगी रखना जाइज़ नहीं।
सवाल : नजासत खफीफा कितनी मुआफ है ?
जवाब : चौथाई कपड़े या (बदन के) चौथाई हिस्से से कम हो तो मुआफ है।
सवाल : नजासत हकीकिया से कपड़ा या बदन किस तरह पाक किया जाए ?
जवाब : नजासत हकीकिया चाहे गाढ़ी हो या हल्की (यानी पतली) कपड़े पर हो या बदन पर पानी से तीन बार धो लेने से पाक हो जाती है। कपड़े को तीनों बार निचोड़ना भी ज़रूरी है।
सवाल : पानी के सिवा किसी और चीज़ से भी पाक हो सकती है या नहीं?
जवाब : हां- जो चीजें पतली और बहने वाली हैं जैसे सिर्का या तरबूज का पानी, इनके धोने से भी नजासत हकीकिया पाक हो जाती हैं।

इस्तिंजा का बयान

सवाल : इस्तिंजा किसे कहते हैं ?
जवाब : पाखाना-पेशाब करने के बाद जो नापाकी बदन पर लगी है उसके पाक करने को इस्तिंजा कहते हैं।
सवाल : पेशाब के बाद इस्तिंजा करने का क्या तरीका है ?
जवाब : पेशाब करने के बाद मिट्टी के पाक ढेले से पेशाब को सुखाना चाहिए। इसके बाद पानी से धो डालना चाहिए।
सवाल : पाखाने के बाद इस्तिंजे का क्या तरीका है?
जवाब : पाखाने के बाद मिट्टी के तीन या पाँच ढेलों से पाखाने की जगह को साफ करे, फिर पानी से धो डाले।
सवाल : इस्तिंजा करना कैसा है ?
जवाब : अगर पाखाना या पेशाब अपनी जगह से बढ़कर इधर-उधर न लगा हो तो इस्तिंजा करना मुस्तहब है और अगर निजासत इधर-उधर लग गई हो मगर एक दिरहम के बराबर या उससे कम लगी हो तो इस्तिंजा करना सुन्नत है और अगर एक दिरहम से ज्यादा लगी हो तो इस्तिंजा फर्ज है।
सवाल : इस्तिंजा किन चीजों से करना चाहिए?
जवाब : मिट्टी के पाक ढेलों से या पत्थर से। 
सवाल : इस्तिंजा किन चीजों से मकरूह है?
जवाब : हड्डी , लीद, गोबर और खाने की चीजों, कोयले और कपड़े और कागज से इस्तिंजा करना मकरूह है।
सवाल : इस्तिंजा किस हाथ से करना चाहिए?
जवाब : बाएँ हाथ से करना चाहिए। दाएँ हाथ से इस्तिंजा करना मकरूह है।

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