कयामत का बयान | 8th Lesson of Islam |

कयामत का बयान | 8th Lesson of Islam |
कयामत का बयान | 8th Lesson of Islam | 

प्यारे साथियो ! आज की इस पोस्ट में हम क़यामत से जुडी कुछ हकीकत बयां करेेंगे की कयामत किसे कहते हैं किस दिन पूरी दुनिया ख़तम होगी उस वक़्त के क्या हाल होंगे अंतरिक्ष में तहलका मच जायेगा सितारे टूट कर गिर जायेंगे इतियादी | और यह भी जान लेते हैं की एक इंसान की तकदीर में क्या क्या पहले से लिखा होता है और क्या कुछ करने के बाद उसेका असर होता है

कयामत का बयान 

 सवाल : कयामत का दिन किस दिन को कहते हैं?
जवाब : कयामत का दिन उस दिन को कहते हैं जिस दिन सारे आदमी और जानदार मर जायेगे  और सारी दुनिया मिट जाएगी पहाड रूई के गालों  की तरह उडते फिरेंगे। सितारे टूट कर गिर पड़ेगे | यानी हर चीज़ टूट-फूट कर मिट जाएगी।
सवाल : सारे आदमी और जानदार कैसे मर जायेंगे?
जवाब : हज़रत इसराफील अलैहिस्सलाम सूर फूंकेंगे। उसकी आवाज़ ऐसी डरावनी और सख़्त होगी कि उसके सदमे से सब मर जाएंगे और हर चीज़ टूट-फूट कर मिट जाएगी।
सवाल : कयामत कब आएगी?
जवाब : कयामत आने वाली है लेकिन उसका ठीक वक्त खुदा तआला के सिवा कोई नहीं जानता इतना मालूम है कि जुमे का दिन और मुहर्रम की दसवीं तारीख होगी। और हमारे पैगम्बर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्ल्म ने कयामत की कुछ निशानियां बता दी हैं। इन निशानियों को देख कर कयामत का करीब आ जाना मालूम हो सकता है।
सवाल : कयामत की निशानियां क्या हैं?
जवाब : हुजूर सलअम ने फरमाया है कि: (1) जब दुनिया में गुनाह ज्यादा होने लगें (2) लोग अपने मां-बाप की नाफरमानियां और उन पर सख़्तियाँ करने लगें (3) अमानत में खयानत होने लगे (4)गाने-बजाने, नाच-रंग ज़्यादा होने लगें (5) पिछले लोग पहले  बुजुर्गों  को बुरा कहने लगें (6) बे-पढ़े-लिखे और कम पढ़े लिखे लोग सरदार बन जायें। (7) चरवाहे वगैरा छोटे दर्जे के लोग बडी ऊंची इमारतें बनाने लगे (8) ऐसे लोगों को जो काबिल ने हों बड़े-बड़े ओहदे मिलने लगें, तो समझो कयामत आ गई है।

तकदीर का बयान

 सवाल : तक़दीर किसे कहते हैं?
जवाब : हर बात और अच्छी-बुरी चीज़ के लिए खुदा तआला के इल्म में एक अन्दाज़ा मुकरर्र है और हर चीज़ के पैदा करने से पहले खुदा तआला इसे जानता है. खुदा तआला के इसी इल्म और अन्दाजे को तकदीर कहते हैं। कोई अच्छी या बुरी बात खुदा तआला के इल्म और अन्दाजे से बाहर नहीं।

मरने के बाद जिन्दा होना 

सवाल : मरने के बाद जिन्दा होने से क्या मतलब है?
जवाब : कयामत में सब चीजें मिट जायेंगी। फिर-इसराफील अलैहिस्सलाम, दोबारा सूर फूंकेंगे सब चीजें मौजूद हो जाएंगी। आदमी भी जिन्दा हो जाएंगे। हशर के मैदान में खुदा तआला के सामने पेशी होगी। हिसाब लिया जाएगा। जिस दिन यह काम होंगे उस दिन को " यौमुल हशर" (यानी जमा किए जाने का दिन), "यौमुल जज़ा" और "यौमुददीन" (यानी बदला देने का दिन) और "यौमुल हिसाब" (यानी हिसाब का दिन) कहते हैं।

सवाल : ईमान मुफस्सल में जिन सात चीजों का जिक्र है इनमें से अगर कोई दो-एक बातों को न माने तो क्या वह मुसलमान हो सकता है?
जवाब : कभी नहीं! जब तक खुदा तआला की तौहीद और पैगम्बरों की पैगम्बरी और खुदा तआला की किताबों और खुदा तआला के फरिश्तों और कयामत के दिन और तकदीर और मरने के बाद जिन्दा होने को न माने कभी मुसलमान नहीं हो सकता।


कयामत का बयान | 8th Lesson of Islam |
कयामत का बयान | 8th Lesson of Islam | 

सवाल : हज़रत पैगम्बर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्ल्म ने पाँच चीजों पर इस्लाम की  बुनियाद बयान फ़रमाई है और इनमें फ़रिश्तों और खुदा तआला की किताबों और कयामत और तकदीर वगैरा का कोई बयान नहीं है?
जवाब : इन पाँच चीजों में हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पर ईमान लाने का बयान है। और जब कोई आदमी हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्ल्म पर ईमान ले आया तो उसे आपकी बताई हुइ सारी बातें माननी ज़रूरी होंगी। और खुदा तआला की किताब जो हज़रत सलअम लाए हैं उस पर ईमान लाना ज़रूरी होगा यह सब बातें जिनका ईमान मुफ़स्सल में बयान है, खुदा तआला की किताब कुरआन मजीद और पैगम्बर स० से साबित हैं।

सवाल : इन सब बातों का दिल से यकीन और जुबान से इकरार करे लेकिन नमाज़ न पढ़े या जकात न दे या रोज़ा न रखे या हज न करे तो वह मुसलमान है या नहीं?
जवाब : हां मुसलमान तो है लेकिन सख़्त गुनहगार और खुदा तआला का नाफरमान है। ऐसे आदमी को फासिक कहते हैं। ये लोग अपने गुनाहों की सज़ा पाकर आखिर में छुटकारा पाएँगे।

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