क्या आप फ़र्ज़ नमाज़ और तहज्जुद की नमाज़ के बीच अंतर जानते हैं ?

क्या आप फ़र्ज़ नमाज़ और तहज्जुद की नमाज़ के बीच अंतर जानते हैं

मोहम्मद सईद गोंडवी :

क्या आप फ़र्ज़ नमाज़ और तहज्जुद की नमाज़ के बीच अंतर जानते हैं

मैं ने एक बेहतरीन मज़मून पढ़ा, ऐसी बात कि जिस से रौंगटे खड़े होजाते हैं, मेरी हर एक से अंतिम तक पढ़ने का निवेदन है|

अल्लाह की तरफ से दावतनामा

मुझे रात के अंतिम पहर में नमाज़ की तौफ़ीक़ हुई तो मैंने एक अजीब बात महसूस की:

कि फ़र्ज़ नमाज़ की पुकार  बंदे की आवाज़ में आती है, और रात के अंतिम पहर की नमाज़(तहज्जुद) की निदा बंदों के रब की ओर से आती है

फ़र्ज़ नमाज़ की निदा हर कोई सुनता है, और तहज्जुद की नमाज़ की निदा कुछ लोग ही महसूस करते हैं

फ़र्ज़ नमाज़ की निदा "हय्या अलस्सलाह , हय्याअललफ़लाह (आओ नमाज़ की ओर , आओ सफलता की ओर) है, और तहज्जुद की नमाज़ की निदा "هَل مَن سائِلٌ فَأُعطیہِ" (कोई है मांगने वाला जिसे मैं दान करूँ) है

फ़र्ज़ नमाज़ मुसलमानों की बहुसंख्यक अदा करती है, जब कि तहज्जुद की नमाज़ वही लोग अदा करते हैं जिनको अल्लाह ने चुन लिया है

फ़र्ज़ नमाज़ कुछ लोग दिखलावे के लिए भी पढ़ते हैं, जहां तक सवाल है तहज्जुद की नमाज़ का तो उसे हर कोई तन्हाई में ख़ालिस अल्लाह के लिए पढ़ता है

फ़र्ज़ नमाज़ की अदायगी के बीच दुनयावी कार्य और शैतानी वस्वसे आते रहते हैं, जब कि तहज्जुद की नमाज़ तो दुनिया से यकसूई और आख़िरत के बनाने ही का नाम है।

बहुत सी बार फ़र्ज़ नमाज़ इसलिए अदा करते हैं ताकि मस्जिद में किसी से मुलाक़ात हो जाए और उस से चंद बातें होजाएं, जब कि तहज्जुद की नमाज़ इसलिए अदा करते हैं कि अल्लाह से बातचीत करके संबंध बनाया जाये, उस से बातें की जाएं, और अपने दुख और सवालात को उस के सामने रखा जाये

फ़र्ज़ नमाज़ की दुआ कभी कभी क़बूल होती है, जब कि तहज्जुद की नमाज़ का तो अल्लाह ने अपने बंदों से क़बूल करने का वादा फ़रमाया है। (ھَل مَن سائِلٌ فَأُعطیہِ)

आख़िर में

तहज्जुद की नमाज़ की तौफ़ीक़ उसी को होती है जिस के लिए अल्लाह ने उस से बातचीत कर के रिश्ता मज़बूत करने और उस की तकलीफों और शिकायतों को सुनने का इरादा किया है, इसलिए कि वह अल्लाह के सबसे क़रीबी बंदों में से है

इस लिए बधाई के क़ाबिल हैं वह लोग जिनको अल्लाह की ओर से उस के सामने बैठने, उस को बातें सुनाने और उस से मुनाजात करने का आनन्द लेने का दावतनामा मिला है

जब आप अंधेरे में अल्लाह के सामने बैठें तो बच्चों की आदत अपनाएँ। बच्चा जब कोई चीज़ मांगता है और उसे नहीं दी जाती तो रोने लगता है यहाँ तक कि उसे वह चीज़ मिल जाये, तो आप भी ऐसे बच्चे बन जाईए और अपनी ज़रूरतों का सवाल कीजीए। (ابن الجوزی)

अपने आपको और दूसरों को वंचित ना कीजीए, हो सकता है किसी को आपकी वजह से तहज्जुद की तौफ़ीक़ मिल जाए और इस का लाभ आपको भी मिल जाये। अल्लाह आपको लाभदायक बनाऐ (आमीन)

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