हज़रत क़ारी उसमान साहिब मंसूर पूरी उस्ताज़ दार-उल-उलूम देवबंद अल्लाह को प्यारे हो गए


हज़रत क़ारी उसमान साहिब मंसूर पूरी उस्ताज़ दार-उल-उलूम देवबंद अल्लाह को प्यारे हो गए

 हज़रत क़ारी उसमान साहिब मंसूर पूरी उस्ताज़ दार-उल-उलूम देवबंद अल्लाह को प्यारे हो गए


अल्लाह  ने हर एक की ज़िंदगी सीमित बनाई है , मौत हर एक  को आनी है,आज हम सब के हर दिल अज़ीज़ उस्ताज़ फ़िक़्ह व हदीस  और अदब अरबी के उस्ताज़ ,दार-उल-उलूम देवबंद के साबिक़ नायब मुहतमिम , हमारे हमसबक़ मौलाना महमूद मदनी की जमीअते-ए-उलमाए हिंद के सदर और अमीर उल-हिंद मौलाना क़ारी मुहम्मद उसमान साहिब मंसूर पूरी,आज8 शवाल1442ह मुताबिक़21/ मई2021 ए- दिन में जुमा को तक़रीबन सवा एक बजे अल्लाह को प्यारे हो गए

 इन्ना लिल्लाहि व इन्ना  इलैहि राजिऊन 

आप 76 साल के थे ,दार-उल-उलूम देवबंद में अपने नियाबत एहतिमाम के ज़माने में दार-उल-उलूम देवबंद के एहतिमाम के कामों को बड़ी बारीक बीनी से देखते थे, तालिब इलमी के ज़माने में हम दो तलबा हज़रत क़ारी साहिब के पास दफ़्तर एहतिमाम में किसी काम से बैठे थे इतने में दफ़्तर के एक मुंशी आए और एक हिसाब का काग़ज़ क़ारी साहिब को दिखाया क़ारी साहिब ने कुछ सवालात किए तो मुंशी ने जवाबात दिए ,क़ारी साहिब ने फ़रमाया जो आप बोल रहे हैं वो काग़ज़ में नहीं है और जो काग़ज़ में है वो आप बोल नहीं रहे हैं, इसलिए जो आप कह रहे हैं वो काग़ज़ में भी लिख दीजीए , ताकि जब हम तुम ना रहें तो ये काग़ज़ गवाही दे,

ये बारीकी थी हज़रत क़ारी साहिब की ज़ात में

हदाया आख़रीन पढ़ाते थे आहिस्ता बोलते लेकिन तशरीह इतनी शानदार फ़रमाते कि ग़ौर से सबक़ सुनने वाला हर तालिब अश अश करता , इबारत का कोई पहलू तिश्ना छोड़ना मुम्किन ना था। हत्तलइमकान चाहे कितनी बारिश हो दार-उल-उलूम में तलबा को पढ़ाने ज़रूर आते ,नाग़ा गवारा ना फ़रमाते, तकमील अदब के तलबा पर ख़ास नज़र रखते।एक मर्तबा अंकलेश्वर गुजरात में मर्कज़ इस्लामी इदारे में अंग्रेज़ी ज़बान वादब के सालाना इजलास में बहैसीयत सदर तशरीफ़ लाए थे अक्ल कव्वा से भी असातिज़ा का एक वफ़द जो दरहक़ीक़त क़ारी साहिब के शागिर्दों का मजमूआ था शिरकत के लिए गया था ,राक़िम सुतूर भी इस में मौजूद था हज़रत क़ारी साहिब ने पीराना-साली के बावजूद पूरा प्रोग्राम अज़ अव्वलता आख़िर सुना उस के प्वाईंटस नोट किए फिर सदारती तक़रीर में सारे नकात का ज़िक्र किया एक साहिब जो एक इदारे के मुहतमिम थे इन्होंने अपनी तक़रीर में उलमाए देवबंद को अंग्रेज़ी ज़बान का मुख़ालिफ़ बताया तो क़ारी साहिब नीदार उल-उलूम देवबंद की सौ साल पहले की रूदाद तारीख़ के साथ सुनाई कि दारलालोम देवबंद ने सौ साल पहले ही उल्मा को अंग्रेज़ी ज़बान वादब से लैस होनी की ना सिर्फ हौसला अफ़्ज़ाई की है बल कि क़रारदाद मंज़ूर की है इसलिए उलमाए देवबंद को अंग्रेज़ी का मुख़ालिफ़ कहना दरुस्त नहीं ।इस तरह सदारती तक़रीर में ग़लत चीज़ की तरदीद फ़रमाई और सदारत का हक़ अदा किया

आज76 साल की उम्र पूरी करके हम सबसे जुदा हो गए अल्लाह रब अलाज़त हज़रत क़ारी साहिब को बहिश्त-ए-बरीँ में बुलंद मुक़ाम अता फ़रमाए मुफ़्ती सलमान साहिब मुफ़्ती उफान साहिब और दूसरे पस मांदगान नीज़ वाबस्तगान को सब्र जमील नसीब फ़रमाए आमीन या-रब अलालमीन

इफ़्तिख़ार अहमद क़ासिमी बस्तवी अक्ल कव्वा महाराष्ट्र

21/मई2021 बाद जुमा

क़री उस्मान साहब पर मर्सिया 

अपना कमेन्ट लिखें

Plz let me know about your emotion after reading this blog

और नया पुराने