इस्लाम का पाँचवाँ पाठ | 5th Lesson Of Islam | Complete Wazu and Namz Tutorial

इस्लाम का पाँचवाँ पाठ | 5th Lesson Of Islam | Complete Wazu and Namz Tutorial

अस्सलामु अलैकुम दोस्तों ! इस्लाम में पाकि को इमांन  का आधा हिस्सा कहा गया है  और वज़ू नमाज़ की कुंजी है जिस तरह ताला  बिना कुंजी के नहीं खोला जा सकता उसी  तरह नामज भी बिना वज़ू के दुरुस्त नहीं होगी | तो मेरे दीनी भाइयों आपकी खिदमत में आज की इस पोस्ट में नमाज़ और वज़ू करने का पूरा तरीका बताया  जायेगा |   इस लिए किर्प्या करके इस पोस्ट को ज़रा ध्यान से पढ़िए और जैसे जैसे इस पोस्ट में वज़ू का तरीका बताया गया है वैसे वैसे आप भी करिये, याद रखिये अगर वज़ू करने में वज़ू के उज़्व में से बाल के बराबर भी सूखा रह गया तो हमारा वज़ू  दुरुस्त और सही नहीं हुआ और जब वज़ू दुरुस्त नहीं तो नामज भी सही नहीं  होगी , और  सोचिये अगर हम सब कोई काम करें अपना वक़्त अरु पैसा दोनों लगाएं  और फिर  उसका  कोई अर्थ न निकले तो हम सबको  कितना अफ़सोस  होगा, इसी तरह हमें पता ही नहीं होता की हमारी कितनी नामज़ सिर्फ वज़ू के सही न होने की वजह से ख़राब हुई , इस लिए एक बार फिर से मैं आपसे निवेदन करता हूँ की इस पोस्ट को मुकम्मल पढ़िए और अपने दोस्तों से शेयर कीजिये ताकि वह भी अपना वज़ू दुरुस्त कर सकें, और फिर आगे नमाज़ का कम्पलीट तरीक़ा बताया गया है की सजदे का क्या तरीके हैं रुकू कैसे करते हैं सजदे के दौरान इंसान के और ज़मीन के बीच कितना फासला होना चाहिए वगेरा वगेरा तो आइये पढ़ते हैं |  

वुज़ करने का तरीका:

सवाल : वुज़ किस तरह किया जाता है?
जवाब : साफ बर्तन में पाक पानी लेकर पाक साफ और ऊंची जगह पर बैठो। किब्ले की तरफ मुँह कर लो तो अच्छा है। और इसका मौका न हो तो कुछ नुक्सान नहीं आस्तीनें कुहनियों के ऊपर तक चढ़ा लो। फिर बिस्मिल्लाह पढ़ो। और तीन बार गट्टों तक हाथ धोओ। फिर तीन बार कुल्ली करो फिर दांतून करो। दांतून न हो तो उँगली से दाँत मल लो। फिर तीन बार नाक में पानी डाल कर बांये हाथ की छोटी उंगली से नाक साफ करो फिर तीन बार मुँह धोओ। मुँह पर पानी ज़ोर से न मारो बल्कि धीरे से माथे पर पानी डाल कर धोओ। माथे के बालों से ठोड़ी के नीचे तक और इधर-उधर दोनों कानों तक मुँह धोना चाहिए। फिर कुहनियों समेत दोनों हाथ धोओ पहले दाहिना हाथ तीन बार फिर बायां हाथ तीन बार धोना चाहिए। फिर हाथ पानी से भिगो कर सिर का मसह करो। फिर कानों का मसह करो फिर गर्दन का मसह करो। मसह सिर्फ एक एक बार करना चाहिए। फिर तीन तीन बार दोनों पांव टखनों समेत धोओ पहले दायां फिर बायां धोना चाहिए।

नमाज़ पढ़ने का तरीका :

सवाल : नामज़ पढ़ने का तरीका क्या है? 
जवाब : नमाज़ पढ़ने का तरीका यह है:
वुज़ करके पाक कपड़े पहनकर पाक जगह पर किब्ले की तरफ मुँह करके खड़े हो। नमाज़ की नीयत करके दोनों हाथ कानों तक उठाओ और अल्लाहु अक्बर कहकर हाथों को नाफ के नीचे बांध लो। दायां हाथ ऊपर और बायां हाथ नीचे बांध लो। नमाज़ में इधर-उधर न देखो अदब से खडे रहो। खुदा की तरफ ध्यान रखो। हाथ बांध कर सना पढ़ो।
सनाः
سُبْحَانَکَ اللّٰھمَّ وَبِحَمْدِکَ وَتَبَارَکَ اسْمُکَ وَتَعَالٰی جَدُّکَ وَلَا اِلٰہَ غَیْرُکَ۔
"सुब्हा-न-कल्ला हुम-म व बिहमदि-क व तबा-र कस्मु-क-व तआला जदु-क व ला इला-ह गैरूक"
फिर तअव्वुज़ यानी अऊज़ बिल्लाहि मिनश शैतानिर-रजीम और तस्मीया यानी बिस्मिल्ला हिर्रहमा निर्रहीम पढ़ कर अल-हम्दु शरीफ पढ़ो अल-हम्दु शरीफ़ ख़त्म करके धीरे से 'आमीन' कहो फिर सूरह इख्लास या और कोई सूरत जो याद हो पढ़ो फिर अल्लाहु अक्बर कह कर रूकू के लिए झुको। रूकू में दोनों हाथों से घुटनों को पकड़ लो। रूकू की तस्वीह यानी 'सुब्हा_न रब्बीयल अजीम' तीन या पाँच बार पढ़ो फिर तस्मीअ यानी 'समि-अल्लाहु-लिमन हमिदह' कहते हुए सीधे खड़े हो जाओ। तह-मीद यानी 'रब्बना लकल हम्दु' भी पढ़ो फिर तकबीर
कहते हुए सजदे में इस तरह जाओ कि पहले दोनों घुटने ज़मीन पर रखो फिर दोनों हाथों के बीच में पहले नाक फिर माथा जमीन पर रखो। सजदे की तस्वीह यानी 'सुब्हा-न रब्बि-यल आला' तीन या पाँच बार कहो फिर तक्बीर कहते हुए खड़े हो जाओ। उठते वक्त ज़मीन पर हाथ न टेको। सजदों तक एक रकात पूरी हो गई। अब दूसरी रकात शुरू हुई। तस्मिया पढ़कर अल-हम्दु शरीफ पढ़ो और कोई और सूरत मिलाओ और फिर एक रूकू और दो सजदे करके बैठ जाओ। पहले तशहहुद पढ़ो फिर दुरूद शरीफ फिर दुआ पढ़ो फिर सलाम फेरो, पहले दायें तरफ फिर बायें तरफ। सलाम करते वक्त दायें और बायें दोनों तरफ़ मुँह मोड़ लो। यह दो रकात नमाज़ पूरी हो गई। सलाम फेरने के बाद "अल्ला हुम-म अन्तस्सलामु व मिन-कस्सलामु तबारक-त या जल-जलालि वल इकरामा" पढ़ो और हाथ उठा कर दुआ माँगो। हाथ बहुत ज्यादा न स्ठाओ यानी कन्धों से ऊंचा न करो। दुआ से निमट कर दोनों हाथ उठाकर मुँह पर फेर लो।

सवाल : दोनों सजदों के बीच में और तशहद पढ़ने की हालत में किस तरह बैठना चाहिए?
जवाब : दायाँ पाँव खड़ा रखो और उसकी उंगलियां किब्ले की तरफ रहें और बायाँ पाँव बिछा कर उस पर बैठ जाओ। बैठने की हालत में दोनों हाथ घुटनों पर रखने चाहिए।

सवाल : इमाम और मुनफरिद और मुक्तदी की नमाज़ों में कुछ फर्क होता है या नहीं?
जवाब : हाँ! इमाम, मुनफरिद और मुक्तदी की नमाज़ में थोड़ा-सा फर्क है। एक फर्क यह है कि इमाम और मुनफ़रिद पहली रकात में सना के बाद "अऊजु.." आखिर तक और "बिस्मिल्ला." आखिर तक पढ़ कर अल-हमदु शरीफ और सूरत पढ़ते हैं। और दूसरी रकात में बिस्मिल्ला और अल-हम्दु शरीफ और सूरत पढ़ते हैं मगर मुक्तदी को सिर्फ पहली रकात में सना पढ़कर दोनों रकातों में चुपचाप खड़ा रहना चाहिए। दूसरा फर्क यह है कि रूकू से उठते वक्त इमाम और मुनफरिद समि-अल्लाहु-लिमन हमिदह और मुनफरिद तस्मीअ के साथ तहमीद भी पढ़ सकता है मगर मुक्तदी को सिर्फ रब्बना लकल हम्द कहना चाहिए।

सवाल : सजदा करने का ठीक तरीका क्या है?
जवाब: सजदा इस तरह करना चाहिए कि हाथों के पंजे ज़मीन पर रहें और कलाइयाँ और कुहनियाँ ज़मीन से ऊंची रहें और पेट रानों से अलग रहे और दोनों हाथ पस्लियों से अलग रहें।

सवाल : नमाज के बाद उंगलियों पर गिन । कर क्या पढ़ते हैं?
जवाब : सुब्हानल्लाह 33 बार, - अल-हम्दु-लिल्लाह 33 बार, और अल्लाहु अक्बर 34 बार पढ़ना चाहिए इसका बहुत सवाब है।
इस्लाम के कलिमे

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धंन्यवाद 

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